शिव सेना के नेता संजय राउत ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण को लेकर बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि शिव सेना के नेता उद्धव ठाकरे को अयोध्या जाने के लिए किसी निमंत्रण की जरूरत नहीं है। इसके आगे उन्होंने कहा कि शिव सेना ने राम मंदिर के निर्माण के रास्ते की बाधा हटाई थी। सवाल है कि कौन सी बाधा शिव सेना ने हटाई थी? कई दशकों से चल रही कानूनी लड़ाई में शिव सेना पक्ष नहीं है। तभी सवाल है कि क्या संजय राउत छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने का संदर्भ दे रहे थे?
गौरतलब है कि अयोध्या में हुई कारसेवा में बड़ी संख्या में शिव सैनिक शामिल हुए थे। जब विवादित ढांचा गिराया गया तब भाजपा के नेताओं ने इसकी जिम्मेदारी से लेने से मना कर दिया था। भाजपा के बड़े नेताओं ने तो इसे भारतीय इतिहास का काला दिन बताया था। पर उस समय बाल ठाकरे ने खम ठोक कर कहा था कि शिव सैनिकों ने कार सेवा की है और उन्होंने विवादित ढांचा गिराया है। तभी शिव सेना हमेशा इसका श्रेय लेती है और अयोध्या के साधु-संत भी खुले दिल से शिव सेना की भूमिका स्वीकार करते हैं। इसी वजह से उद्धव ठाकरे पिछले साल के चुनाव से पहले भी अयोध्या गए थे और चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अयोध्या गए। यहीं कारण है कि संजय राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे को किसी निमंत्रण की जरूरत नहीं है। पर बाधा हटाने वाली उनकी बात को लेकर राजनीतिक कानाफूसी शुरू हो गई है। कांग्रेस और एनसीपी दोनों के नेता परेशान हैं। उनको लग रहा है कि संजय राउत ने विवादित ढांचा गिराए जाने का संदर्भ देकर अपना वोट तो पक्का किया है पर कांग्रेस और एनसीपी दोनों को नुकसान पहुंचाया है। खबर है कि उद्धव ठाकरे को शिलान्यास में बुलाया जाएगा। उसके बाद राज्य की राजनीति में कुछ बदलाव की शुरुआत हो सकती है।