jammu and kashmir Congress PDP : यह कुछ कुछ इस तरह का सवाल है कि पहले अंडा आया या मुर्गी आई। जम्मू कश्मीर में पार्टियों के बीच इस बात पर बहस छिड़ी है कि पहले राज्य का दर्जा बहाल किया जाए या पहले विधानसभा के चुनाव कराए जाएं। केंद्र सरकार चाहती है कि परिसीमन के बाद विधानसभा चुनाव हो जाए और तब राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। दूसरी ओर कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस सहित सभी पार्टियों का कहना है कि पहले राज्य का दर्जा बहाल हो। अब सवाल है कि चुनाव से पहले राज्य का दर्जा बहाल होने से जमीनी स्तर पर क्या बदलाव होगा? इससे असल में कुछ नहीं बदलेगा। राज्य में विधानसभा भंग है और अभी राज्य का दर्जा बहाल कर देने के बाद भी राज्यपाल शासन ही लगा रहेगा। पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होने का फायदा तब है, जब चुनाव हो जा जाए।
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jammu and kashmir Congress PDP
तभी सवाल है कि जब राज्यपाल शासन ही लगा रहना है तब राज्य का दर्जा बहाल कराने के लिए दबाव बनाने का क्या मतलब है? इस दबाव के दो-तीन कारण हैं। पहला कारण तो यह है कि जम्मू कश्मीर की पार्टियों में अविश्वास है कि पता नहीं चुनाव के बाद केंद्र सरकार पूर्ण राज्य का दर्जा देगी या नहीं? उन्हें अंदेशा है कि दिल्ली की तरह विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश बनाए रखा जा सकता है। अगर उन्होंने चुनाव लड़ लिया और चुनाव के बाद पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला तो उनके पास इस्तीफे के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। दूसरा कारण यह है कि वे चुनाव से पहले पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करा कर अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना चाहते हैं। अभी भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है। तीसरा कारण यह है कि पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होने पर प्रदेश की पार्टियों के पास चुनाव में जाने का एक ठोस कारण होगा। यानी पार्टियों की अपनी फेस सेविंग के लिए जरूरी है कि चुनाव से पहले केंद्र कुछ सद्भाव दिखाए।