भारत और चीन के सैनिकों के बीच सीमा पर हुई हिंसक झड़प जैसे संवेदनशील और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई पर उसमें भी बिहार की राजनीति और अरविंद केजरीवाल को हैसियत दिखाने का खासतौर से ख्याल रखा, जिसका नतीजा यह हुआ कि प्रधानमंत्री की बुलाई सर्वदलीय बैठक बहुदलीय बैठक में बदल गई। ऐसा लग रहा है कि जान बूझकर और बहुत कायदे से बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल और दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को इस बैठक से बाहर रखा गया। बैठक में बुलाने का क्राइटेरिया ऐसा तय किया गया, जिससे महत्वपूर्ण पार्टियों में से सिर्फ आप और राजद छंटे।
असल में बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और एनडीए के नेता किसी कीमत पर नहीं चाहते कि राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी को किसी भी मंच पर फुटेज मिले। राष्ट्रीय जनता दल को बुलाए जाने पर बिहार में इसकी चर्चा होती और अगर राजद के खूब पढ़े-लिखे सांसद मनोज झा बैठक में कुछ सवाल उठाते तो उसकी अलग चर्चा होती। जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा की सहयोगी जनता दल यू के नेता नहीं चाहते थे कि इस बैठक में राजद को बुलाया जाए। इसलिए क्राइटेरिया ऐसा बनाया गया, जिससे राजद को नहीं बुलाया जाए पर उससे छोटी दूसरी पार्टियों को बुला लिया जाए।
जैसे भाजपा की सहयोगी अकाली दल व आरपीआई लोकसभा में पांच सांसद का क्राइटेरिया पूरा नहीं कर रहे थे तो यह पैमाना बना दिया गया कि जिसका कोई सदस्य कैबिनेट में मंत्री हो। इससे अकाली दल और आरपीआई अठावले को मौका मिल गया। ऐसे ही पूर्वोत्तर के प्रमुख दल को बुलाने का क्राइटेरिया बनाया गया ताकि वहां से भाजपा की सहयोगी सिक्किम क्रांति मोर्चा किस्म की पार्टियों को बुलाया जा सके। राष्ट्रीय पार्टियों को बुलाने का क्राइटेरिया बनाया गया ताकि लोकसभा में सिर्फ दो ही सांसद होने के बावजूद सीपीएम और सीपीआई बाहर न छूटें। चीन के मसले पर हो रही बैठक में कम्युनिस्ट पार्टियों को नहीं बुलाने का मैसेज गलत जाता। सो, तीसरा क्राइटेरिया उन्हें बुलाने का बनाया गया। मुख्य क्राइटेरिया यह था कि लोकसभा में पांच सांसद हों। अगर इसे ऐसे कहा गया होता कि संसद में पांच सांसद हों तो राजद को मौका मिल जाता क्योंकि लोकसभा में भले उसका कोई सांसद नहीं है पर राज्यसभा में उसके पांच सांसद हैं। लेकिन लोकसभा में पांच सांसद का क्राइटेरिया तय करके राजद को बाहर रखा गया और जो दूसरी पार्टियां इस क्राइटेरिया को नहीं पूरा करती थीं उनके लिए अलग पैमाना बनाया गया। अरविंद केजरीवाल की पार्टी के दोनों सदनों में सिर्फ चार सांसद हैं। लेकिन वे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। उनको इस नाते बुलाया जा सकता था। दिल्ली को छोड़ कर बाकी सभी राज्यों में सरकार चलाने वाली पार्टियों के नेता बैठक में बुलाए गए।
जदयू के कारण राजद को बाहर रखा!
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