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जदयू का आंतरिक संतुलन बिगड़ेगा

ByNI Political,
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जदयू का आंतरिक संतुलन बिगड़ेगा
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के जदयू में विलय और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के जदयू में शामिल हो जाने के बाद अब पार्टी का आंतरिक संतुलन बिगड़ेगा। पार्टी में अब तक तीन नेता थे। नीतीश कुमार, आरसीपी सिंह और ललन सिंह। इनके अलावा बाकी सभी लोग कार्यकर्ता थे। उनमें कुछ कार्यकर्ताओं का महत्व थोड़ा ज्यादा था और कुछ का कम। वहां किसी भी दूसरी क्षेत्रीय पार्टी की तरह विधायक, मंत्री का कोई मतलब नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष का भी कोई खास मतलब नहीं होता है। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी में शामिल होने और राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद स्थितियां बदलेंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि कुशवाहा वापस अपने पैर जमा लेते हैं या उनकी भी स्थिति प्रशांत किशोर वाली होती है। ध्यान रहे नीतीश कुमार ने कुछ समय पहले चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को इसी तरह से पार्टी में प्रमोट किया था। उनको पार्टी का उपाध्यक्ष बना दिया गया था। लेकिन एक साल के अंदर ऐसी स्थिति बन गई कि नीतीश कुमार को उनको पार्टी से निकालना पड़ा। कहने की जरूरत नहीं है कि नीतीश के अलावा जो दो नेता पार्टी पर नियंत्रण रखते हैं वे नहीं चाहते हैं कि कोई तीसरा नेता पार्टी में खड़ा हो। प्रशांत किशोर तो ब्राह्मण थे, तब भी उनके नहीं टिकने दिया गया तो उपेंद्र कुशवाहा तो कोईरी हैं, जिसका आठ फीसदी के करीब वोट है। वे जब भी पार्टी में रहे हैं तब नीतीश ने उनको बहुत तरजीह दी। पहले प्रदेश अध्यक्ष रखा और दूसरी पार्टी वे पार्टी में आए तो राज्यसभा में भेजा। इस बार भी उनको नीतीश ने बहुत महत्व दिया है। अपने लव-कुश यानी कुर्मी-कोईरी समीकरण को मजबूत करने के लिए वे कुशवाहा का चेहरा दिखाना चाहते हैं। अगर कुशवाहा नीतीश के साथ जम जाते हैं तो जदयू की तस्वीर बदल जाएगी।
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