राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ ने एक बार फिर केंद्र सरकार को मुश्किल में डाल दिया था। पिछले दिनों ‘पांचजन्य’ की कवर स्टोरी इंफोसिस के ऊपर थी और उसे देश विरोधी कंपनी बताया गया था। पत्रिका ने इंफोसिस के संपादक नारायण मूर्ति तक को देश विरोधी ताकतों का समर्थक बताया था। जब विवाद हुआ तो संघ ने पल्ला झाड़ लिया और बाद में पत्रिका ने भी कहा कि यह उसका नहीं, बल्कि लेखक का विचार है। लेकिन देश की सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों में से एक इंफोसिस को निशाना बना कर संघ ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि का बड़ा नुकसान किया था। अब उसने अमेरिका की ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन को निशाना बनाया है। उसने अमेजन को ईस्ट इंडिया कंपनी पार्ट टू कहा है। RSS Panchjanya ecommerce amazon
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‘पांचजन्य’ ने अमेजन को ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0 बताते हुए लिखा है कि यह कंपनी अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए ऐसी फिल्में और वेब सीरिज बना रही है, जो भारत की संस्कृति के अनुरूप नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इसने अपनी कई छद्म सहायक ईकाई बनाई है, जिनके जरिए कारोबार कर रही है। संघ की पत्रिका ने यह भी आरोप लगाया है कि इसने सैकड़ों करोड़ रुपए सरकार को रिश्वत दी है। सोचें, सरकार किसकी है! सरकार खुद आरएसएस के एक अनुषंगी संगठन, उसकी राजनीतिक शाखा भाजपा की है। संघ के स्वंयसेवक प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्री हैं और संघ कह रहा है कि उस सरकार ने रिश्वत खाई है। गौरतलब है कि अमेजन की ओर से भारत में नीतिगत फैसले कराने के लिए साढ़े आठ हजार करोड़ रुपए खर्च करने का खुलासा हुआ है। कंपनी ने चार साल में इतनी बड़ी रकम कानून फीस चुकाने के नाम पर खर्च की है। अमेरिका में इसकी जांच चल रही है। संघ की पत्रिका का इशारा उसी ओर है। सरकार के लिए यह शर्मिंदगी का कारण है।