Samajwadi party Akhilesh Yadav समाजवादी पार्टी विपक्ष में है लेकिन वह बाकी विपक्षी पार्टियों के तरह गठबंधन बना कर भाजपा विरोध की राजनीति में शामिल नहीं है। वह अकेले अपनी राजनीति कर रही है। उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव भी सपा को अकेले लड़ना है और जहां जरूरत होगी वह प्रदेश की छोटी प्रादेशिक पार्टियों से तालमेल करेगी। संसद के मॉनसून सत्र के दौरान सपा के नेता दिल्ली में होने के बावजूद विपक्षी राजनीति का हिस्सा नहीं बन रहे हैं। राहुल गांधी ने विपक्षी पार्टियों के साथ तीन बार बैठक की है और हर बार पार्टी ने प्रतीकात्मक उपस्थिति दर्ज कराई। पहले सपा ने राहुल की बैठकों में विश्वंभर निषाद को भेजा। हालांकि मंगलवार को सुबह राहुल की बुलाई बैठक में जरूर रामगोपाल यादव शामिल हुए पर वह भी प्रतीकात्मक उपस्थिति थी।
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तभी माना जा रहा है कि लालू प्रसाद का मुलायम सिंह और अखिलेश यादव से मिलना किसी बड़े एजेंडे का हिस्सा है। लालू और मुलायम सिर्फ चाय पीने या एक-दूसरे की तबियत का हाल जानने के लिए नहीं मिले थे और न उत्तर प्रदेश के चुनावी एजेंडे पर बात करना उनका मकसद था। सबको पता है कि उत्तर प्रदेश में लालू प्रसाद का कोई असर नहीं है और प्रदेश के यादव मतदाता पहले से सपा से जुड़े हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि लालू और मुलायम की मुलाकात का एक बड़ा मकसद कांग्रेस के प्रति सपा की नाराजगी को दूर करना है और सपा को मुख्यधारा के विपक्षी गठबंधन में लाना है।
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समाजवादी पार्टी के बिना विपक्षी गठबंधन अधूरा रहेगा और दूसरी बात यह भी है कि अगर सपा ने कांग्रेस के गठबंधन से दूरी बनाई और तीसरे मोर्चे की राजनीति में शामिल हुआ तो उसका अलग नुकसान है। तभी कहा जा रहा है कि पिछले दिनों शरद पवार, रामगोपाल यादव और कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह इसी मकसद से लालू प्रसाद के घर गए थे। उन्होंने विपक्षी गठबंधन और कांग्रेस के बारे में बात की थी। शरद पवार की लालू से हुई मुलाकात का ही विस्तार लालू-मुलायम की मीटिंग में दिखा है।
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गौरतलब है कि पिछले दिनों ममता बनर्जी जब विपक्षी एकता बनाने के लिए दिल्ली आई थीं तब उनकी जिन नेताओं से मुलाकात नहीं हुई थी उनमें अखिलेश यादव भी शामिल हैं और शरद पवार भी शामिल हैं। तभी इन दोनों की राजनीति पर बहुत बारीक नजर रखने की जरूरत है। शरद पवार के बारे में कहा जाता है कि वे जो राजनीति करते हुए दिखते हैं असल में उसका उलटा कुछ कर रहे होते हैं। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि इस समय वे किसके लिए और क्या काम कर रहे हैं। पर इतना जरूर है कि देश के बड़े विपक्षी नेता इस समय अखिलेश यादव को मुख्यधारा की विपक्षी राजनीति में लाना चाहते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले यह काम करते हैं या उसके बाद राष्ट्रपति चुनाव के समय।
Samajwadi party Akhilesh Yadav
सपा को लाना है विपक्षी खेमे में!
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