राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

शरद पवार की राष्ट्रीय भूमिका समाप्त!

तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और केंद्र में रक्षा व कृषि जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में मंत्री रहे, एनसीपी के संस्थापक अध्यक्ष शरद पवार की राष्ट्रीय भूमिका अब लगभग समाप्त हो गई है। शरद पवार ने अपनी पूरी जिंदगी प्रधानमंत्री बनने की तैयारी और प्रतीक्षा की है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि अब ने न तो तैयारी कर रहे हैं और न प्रतीक्षा कर रहे हैं। कुछ दिन पहले तक वे जब भी विपक्षी एकता की बात चलती थी और यह सोचा जाता था कि भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए कैसे एक साझा मोर्चा बने तो उसके केंद्र में सबसे पहला नाम शरद पवार का आता है। हर बार यह कहा जाता था कि पवार एकमात्र नेता हैं, जिनकी बात देश के सारे नेता सुनते हैं, वे सर्वमान्य हैं, उनके पास साधन हैं और महत्वाकांक्षा भी इसलिए वे विपक्ष को साथ लाएंगे।

लेकिन अब जबकि विपक्ष एकजुट होने का प्रयास कर रहा है तो उनकी भूमिका इस पूरे मामले में नगण्य हो गई है। वे हर जगह दिखते जरूर हैं लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि वे किसी नेता से बात कर रहे हैं या विपक्षी एकजुटता का प्रयास कर रहा कोई नेता उनसे बात करने को राजनीतिक प्राथमिकता मान रहा है। मोटे तौर पर वे महाराष्ट्र की राजनीति तक सीमित हो गए हैं और उसमें भी अपनी पार्टी और महा विकास अघाड़ी की राजनीति तक। यह अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल है अपनी पार्टी और परिवार के अंदर तनाव और खींचतान बढ़ने की वजह से उनकी राष्ट्रीय भूमिका कम हुई है या राष्ट्रीय स्तर पर पूछ घटने के बाद घरेलू राजनीति में भी स्थिति कमजोर हुई है? लेकिन यह हकीकत है कि राष्ट्रीय स्तर पर उनकी भूमिका घटी है।

विपक्ष की एकता बनाने का प्रयास अब नीतीश कुमार कर रहे हैं। भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में वे केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं और ऐसा इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने अपने राज्य में भाजपा को सत्ता से बाहर किया, जबकि महाराष्ट्र में शरद पवार की आंखों के सामने उनकी पार्टी की गठबंधन वाली सरकार गिर गई। जब महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार गिरी और भाजपा सत्ता में आई उसके डेढ़ महीने के भीतर बिहार में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई और राजद व जदयू की सरकार बनी। तब से नीतीश फोकस में हैं। दिलचस्प यह भी है कि कई महीनों के प्रयास में नीतीश की प्राथमिकता शरद पवार से मिलने की नहीं है। वे मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, सीताराम येचुरी, डी राजा, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से मिले हैं। अभी तक पवार से मिलने का कोई कार्यक्रम नहीं है।

नीतीश के अलावा भी कई लोग विपक्षी एकता बनाने का प्रयास कर रहे हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सामाजिक न्याय पर सम्मेलन किया है, जिसमें 14 विपक्षी पार्टियां शामिल हुईं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी कई बार विपक्षी नेताओं को जुटा चुके हैं और काफी पहले से संघीय मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी प्रयास किया है और कई नेताओं से मिली हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे भी विपक्षी नेताओं से बात कर रहे हैं। सिर्फ शरद पवार खामोश और दूर-दूर हैं। अपनी पार्टी और अपने राज्य की राजनीति के साथ साथ सेहत भी इसका एक कारण है।

Tags :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *