महाराष्ट्र और देश के दूसरे हिस्सों में भी चल रही राजनीति से शिव सेना की चिंता बढ़ी है। बुलडोजर राजनीति और हनुमान चालीसा के पाठ की राजनीति शिव सेना पर भारी पड़ रही है। पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि अगर भाजपा की यह राजनीति चलती रही तो शिव सेना का कोर हिंदू वोट उससे दूर जाएगा। इसका ज्यादा नुकसान उसकी सहयोगी पार्टियों कांग्रेस और एनसीपी को नहीं होगा क्योंकि उनकी राजनीतिक जमीन मुंबई से दूर है और उनके बारे में पहले से एक धारणा बनी हुई है। लेकिन शिव सेना ने अभी हिंदुत्व का अपना एजेंडा छोड़ा नहीं है। Shiv Senas concern increased
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तभी राज ठाकरे और नवनीत व रवि राणा के हनुमान चालीसा पढ़ने या मोहित कंबोज के मंदिरों में लाउडस्पीकर मुफ्त बांटने की राजनीति से शिव सेना को चिंता हुई है। इस बीच एनसीपी के एक नेता ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिख कर दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास के बाहर नमाज पढ़ने की इजाजत मांगी है। राणा दंपत्ति के मुख्यमंत्री आवास के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने की राजनीति के जवाब में पीएम आवास के सामने नमाज की इजाजत मांगी गई है। शिव सेना को चिंता है कि कहीं हनुमान चालीसा बनाम नमाज का मुद्दा न बन जाए और इसमें शिव सेना को नमाजवादी पार्टी न कहा जाने लगे। तभी उसके नेता चाहते हैं कि किसी तरह से यह विवाद खत्म हो। पर ऐसा लग रहा है कि यह विवाद खत्म नहीं होगा। जल्दी ही हिजाब और हलाल मीट का मामला भी महाराष्ट्र में शुरू होगा।