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उद्धव जैसा हस्र किसी का हो सकता है

शिव सेना से अलग होने वाले एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिव सेना मानने और उसे तीर धनुष चुनाव चिन्ह दिए जाने के चुनाव आयोग के फैसले ने देश की तमाम प्रादेशिक पार्टियों को निश्चित रूप से चिंता में डाला होगा। आयोग के फैसले का शिकार हुए उद्धव ठाकरे ने कहा भी है कि देश की सभी प्रादेशिक पार्टियों को सावधान हो जाना चाहिए और इसका विरोध करना चाहिए क्योंकि कल यह किसी के साथ हो सकता है। इस बात को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान से मिला कर देखें तो तस्वीर और स्पष्ट होती है। वे चुनाव आयोग के फैसले के तुरंत बाद महाराष्ट्र पहुंचे और दो दिन कई कार्यक्रमों में शामिल हुए। उन्होंने दो टूक कहा कि धोखा देने वालों को माफ नहीं करना चाहिए।

इससे भाजपा की पुरानी सहयोगी पार्टियों को तो सावधान होना ही चाहिए साथ ही भाजपा विरोधी दूसरी पार्टियों को भी सावधान होना चाहिए। सबसे पहले नीतीश कुमार पर खतरा मंडरा रहा है। उनकी पार्टी टूटने की कगार पर है। उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह भाजपा की मदद से पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि नीतीश कुमार के विधायकों के टूटने का खतरा कम है इसलिए उद्धव जैसा संकट अभी तत्काल नहीं दिख रहा है। पर आगे कभी भी संकट आ सकता है। अकाली दल को भी चिंता करनी चाहिए। चुनाव आयोग ने यह नजीर बना दी है कि सांसद और विधायकों का बहुमत जिस तरफ होगा उसी को असली पार्टी माना जाएगा। तो पार्टी संगठन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा और न पार्टी के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों का कोई मतलब रह जाएगा। सो, जिन पार्टियों के सांसदों व विधायकों की संख्या कम है और अगर वे भाजपा के विरोध में हैं तो उनको सावधान हो जाना चाहिए।

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