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राज्य और राज्यपालों का विवाद

ByNI Political,
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राज्य और राज्यपालों का विवाद
देश में भाजपा बनाम कांग्रेस, सरकार बनाम विपक्ष, केंद्र बनाम राज्यों की लड़ाई के बीच एक विवाद राज्य सरकार बनाम राज्यपालों का चल रहा है। कई राज्यों में राज्यपालों और राज्य सरकारों के बीच विवाद की वजह से संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। उत्तर में बिहार से लेकर दक्षिण में तमिलनाडु व केरल में और पूरब में पश्चिम बंगाल से लेकर पश्चिम में महाराष्ट्र तक, एक जैसा संकट है। विपक्ष के शासन वाले आधा दर्जन राज्यों में राज्यपालों और राज्य सरकार के बीच विवाद चल रहा है। बिहार और दिल्ली में भी सरकार और राज्यपाल व उप राज्यपाल का विवाद पुराना है। State and Governors dispute तमिलनाडु में मेडिकल में दाखिले के लिए होने वाली अखिल भारतीय परीक्षा- नीट को लेकर विवाद है। तमिलनाडु सरकार इसका विरोध कर रही है। उसका कहना है कि नीट की वजह से राज्य के गरीब और पिछड़े छात्रों का जीवन बरबाद हो रहा है। राज्य की सभी पार्टियां इससे सहमत हैं और राज्य सरकार के मेडिकल कॉलेज में दाखिले को नीट से बाहर रखना चाहते हैं। विधानसभा ने इसका प्रस्ताव पास करके राज्यपाल आरएन रवि को भेजा, जिसे उन्होंने वापस कर दिया। प्रस्ताव वापस होने तुरंत बाद फिर विधानसभा से इसे पास करके राज्यपाल को भेजा है। ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ही प्रस्ताव को विधानसभा ने दोबारा पास करके राज्यपाल को भेजा है। सो, एक संवैधानिक संकट की स्थिति राज्य में बनी है। governor returned governments file Read also इन चुनावों का दूरगामी अर्थ इसी तरह महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी विधान परिषद के 12 सदस्यों के मनोनयन के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है। राज्य सरकार ने यह प्रस्ताव नवंबर 2020 में भेजा था। राज्य सरकार के मंत्री कई बार मिल कर राज्यपाल से इसे मंजूरी देने का अनुरोध कर चुके हैं। बांबे हाई कोर्ट ने भी इसे लेकर टिप्पणी की थी और कहा था कि वह राज्यपाल को आदेश तो नहीं दे सकती है लेकिन ऐसे मामलों में समय सीमा का पालन होना चाहिए। अनंतकाल तक इसे लंबित नहीं रखा जा सकता है। इस मसले पर सरकार और राज्यपाल के बीच खूब तनातनी रही है और मुख्य विपक्षी भाजपा के साथ सरकार की जुबानी जंग चल रही है। पश्चिम बंगाल में तो और भी कमाल की स्थिति बनी है। वहां राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच लंबे समय से टकराव चल रहा है। राज्यपाल और विधानसभा के स्पीकर के बीच कई मसलों पर विवाद सार्वजनिक हुए हैं और विवाद इतना बढ़ा की मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया। यह संभवतः पहला मामला है, जब कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर करके राज्यपाल को हटाने की मांग की गई है। एक वकील रामप्रसाद सरकार ने आठ फरवरी को हाई कोर्ट में याचिका दायर करके कहा है कि राज्यपाल राज्य सरकार के कामकाज में दखल दे रहे हैं और अपनी आलोचनात्मक टिप्पणियों से सरकार की छवि खराब कर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि राज्यपाल अधिकारियों को सीधे निर्देश दे रहे हैं, जो संविधान का उल्लंघन है, इसलिए उनको हटाने का निर्देश दिया जाए।
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