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कांग्रेस की तरह तृणमूल में संघर्ष

ByNI Desk,
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कांग्रेस की तरह तृणमूल में संघर्ष
जिस तरह कांग्रेस पार्टी में पिछले कई बरसों से नए बनाम पुराने नेताओं का संघर्ष चल रहा है उसी तरह का संघर्ष तृणमूल कांग्रेस में भी शुरू हो गया है। कांग्रेस से उलट तृणमूल के पुराने नेता एक बार तो कामयाब हो गए थे। उन्होंने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का राष्ट्रीय महासचिव का पद ही समाप्त करा दिया था। इसके अलावा ममता बनर्जी ने 20 सदस्यों की राष्ट्रीय कार्य समिति बनाई तो उसमें भी अभिषेक के करीबी नेताओं को नहीं शामिल होने दिया था। कांग्रेस में कम से कम यह तो है कि सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को जिम्मेदारी दे दी है तो दे दी है। परदे के पीछे से पुराने नेता चाहे जो खेल करें, लेकिन सामने आकर या सोनिया पर दबाव डाल कर राहुल को हटाने का काम उन्होंने नहीं किया है। Struggle Trinamool like Congress Read also “योगीजी ही वापिस आएंगे” बहरहाल, अभिषेक बनर्जी को पार्टी के पुराने नेताओं का खेल पता है इसलिए उन्होंने भी परिवार का दबाव और पार्टी के अपने समर्थक नेताओं से दबाव बनवा कर ममता बनर्जी को मजबूर किया कि वे फिर से उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाएं। महासचिव का पद खत्म करने के एक हफ्ते के अंदर ममता बनर्जी ने अभिषेक को फिर महासचिव बनाया और उनकी करीबी सुष्मिता देब को पूर्वोत्तर में संगठन की जिम्मेदारी दी। इस तरह पार्टी के तमाम पुराने नेताओं को अभिषेक ने मैसेज दे दिया कि पार्टी में उनकी नंबर दो की पोजिशन स्थायी है और नेताओं को उनके दरबार में भी हाजिरी लगानी होगी। इसके बावजूद माना जा रहा है कि गोवा के चुनाव नतीजों के बाद पार्टी के पुराने नेता एक बार फिर सक्रिय होंगे। अगर तृणमूल का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहता है तो अभिषेक को आलोचनाओं का सामना करना होगा।
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