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ममता के काम के हैं स्वामी

ByNI Political,
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ममता के काम के हैं स्वामी
सुब्रह्मण्य स्वामी और ममता बनर्जी में क्या खिचड़ी पक रही है? कुछ दिन पहले राजधानी दिल्ली में ममता बनर्जी से मिलने के बाद अब स्वामी ने कोलकाता जाकर उनसे मुलाकात की है। यह कोई शिष्टाचार मुलाकात नहीं थी, बल्कि शुद्ध रूप से राजनीतिक मुलाकात थी। तभी सवाल है कि दोनों नेताओं के बीच किस मसले पर बात हुई और आगे क्या दोनों साथ आने वाले हैं? ध्यान रहे वैचारिक रूप से दोनों नेता दो छोर पर खड़े हैं। स्वामी की छवि कट्टर हिंदुवादी नेता की है तो ममता बनर्जी की छवि भाजपा ने ममता बानो वाली बना रखी है। उनको मुस्लिमपरस्त बताया जाता है। राज्य की 30 फीसदी के करीब मुस्लिम आबादी की वजह से ऐसी राजनीति उनकी मजबूरी भी है। ऐसे में अगर दोनों साथ आते हैं तो पहले से बनी हुई धारणा से समझौता करना होगा। हालांकि दोनों में एक कॉमन बात यह है कि दोनों अभी केंद्र सरकार से नाराज हैं और हर मसले पर सरकार की आलोचना कर रहे हैं। राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद स्वामी ज्यादा मुखर विरोधी हो गए हैं। क्या इस कॉमन ग्राउंड पर ममता उनको राज्यसभा भेज सकती हैं? पश्चिम बंगाल में अगले साल अगस्त में राज्यसभा की छह सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें से पांच सीटें ममता की पार्टी को मिलेंगी। इसमें से एक सीट वे स्वामी को दे सकती हैं। उनको पता है कि मुस्लिम मतदाता उनके अलावा किसी को वोट नहीं करेंगे क्योंकि राज्य में कोई दूसरी पार्टी भाजपा से लड़ने वाली नहीं है। स्वामी के चेहरे पर से वे हिंदुओं को मैसेज दे सकती हैं और स्वामी भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व के प्रचार की काट भी कर सकते हैं। राज्य में भाजपा के प्रचार के जवाब में ममता स्वामी को आगे कर सकती हैं। यानी भाजपा को उसके ही चेहरे के जरिए जवाब देने की योजना ममता की हो सकती है। इसके अलावा स्वामी दक्षिण भारत के राज्यों में ममता को रास्ता दिलाने वाले बन सकते हैं। चुनाव बाद की स्थितियों में वे बहुत कारगर साबित होंगे। वैसे भी महिला नेताओं के साथ स्वामी की राजनीतिक खिचड़ी पक जाती है। उन्होंने सोनिया गांधी और जयललिता को साथ लाकर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरवाई थी।
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