भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी सुरक्षा को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि सरकार उनकी सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था नहीं कर रही है। गौरतलब है कि इस साल अप्रैल में उनकी राज्यसभा की सदस्यता समाप्त हो गई, जिसके बाद उनको सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस मिला। छह महीने में बंगला खाली करने की अनिवार्यता की अवधि समाप्त हो गई है। स्वामी का पहले कहना था कि जेड सुरक्षा वालों को सरकारी आवास मिलना चाहिए। लेकिन सरकार की ओर से इसके लिए मना कर दिया गया। एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ने अदालत में कहा कि स्वामी के पास निजामुद्दीन ईस्ट में अपना मकान है वे वहां शिफ्ट करें और सरकार वहां उनकी सुरक्षा व्यवस्था करेगी।
इस मामले का अदालत में अभी निपटारा नहीं हुआ। लेकिन सोशल मीडिया में इसे लेकर दिलचस्प चर्चा हुई। किसी ने स्वामी के हाई कोर्ट जाने और सुरक्षा व्यवस्था करने का मुद्दा उठाया तो उस पर जवाब देते हुए स्वामी ने लिखा- मैं हरेन पंड्या हो जाना नहीं चाहता हूं। ध्यान रहे हरेन पंड्या गुजरात में गृह मंत्री थे और 2002 के गुजरात दंगों के थोड़े दिन बाद उनकी हत्या हो गई थी। तब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। सुरक्षा मामले के देश के जाने-माने पत्रकार जोसी जोसेफ ने अपनी किताब ‘द साइलेंट कू’ में लिखा है कि दंगों की जांच के लिए एक सिटिजन कमेटी बनी थी, जिसके अध्यक्ष जस्टिस वी कृष्णा अय्यर थे।
जब अय्यर कमेटी गुजरात पहुंची थी तो खबर आई थी कि एक पूर्व मंत्री ने कमेटी के लोगों से मुलाकात की थी। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसका पता लगाया और उनकी जांच में पता चला कि कमेटी से मिलने वाले पूर्व मंत्री हरेन पंड्या थे। इसके कुछ दिन बाद ही उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई। उनकी हत्या में कथित तौर पर शामिल रहे शूटर सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति बाद में एक पुलिस मुठभेड़ में मारे गए। उस मुठभेड़ को लेकर भी अनेक सवाल उठे। बहरहाल, केंद्र सरकार की नीतियों पर लगातार सवाल उठा रहे सुब्रह्मण्यम स्वामी का अपने मामले में हरेन पंड्या का रेफरेंस देना मामूली बात नहीं है।