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पेगासस पर अब आगे क्या?

ByNI Political,
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पेगासस पर अब आगे क्या?
केंद्र सरकार ने एक तरह से यह मान लिया है कि उसने इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया है। अगर ऐसा नहीं होता तो सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने या जवाब देने से इस तरह नहीं हिचकती। केंद्र सरकार पिछले दो या तीन सुनवाइयों में कहती रही कि उसे विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए समय चाहिए। कई पत्रकारों और जानी मानी हस्तियों ने पेगासस से जासूसी किए जाने के आरोपों की एसआईटी से जांच कराने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दी है। पहली सुनवाई में ही केंद्र की ओर से दिए गए संक्षिप्त जवाब पर अदालत ने हैरानी जताई थी और कहा था कि उसे उम्मीद थी कि सरकार विस्तृत हलफनामा देगी। इस पर सरकार समय लेती रही औरर अंत में सोमवार को कह दिया कि वह कोई हलफनामा नहीं देगी। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने अदालत में यह भी कहा कि यह हलफनामा देकर अदालत में सार्वजनिक चर्चा किए जाने वाला मुद्दा नहीं है। pegasus controversy supreme court Read also चुनावी राज्य, आप मुख्य विपक्ष? सवाल है कि इसमें ऐसा क्या है, जिसे सरकार छिपाना चाह रही है? अगर उसने इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया है तो उसे एक वाक्य में इसका सीधा जवाब देना है कि उसने ऐसा कोई सॉफ्टवेयर अपने लोगों की जासूसी के लिए इस्तेमाल नहीं किया है। ऐसा जवाब रक्षा मंत्रालय ने संसद में दिया था। रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि उसने इजराइल की संस्था एनएसओ के साथ कोई लेन-देन नहीं किया है। इसका मतलब है कि उसने सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा था। रक्षा मंत्रालय ने पेगासस नहीं खरीदा है और उसने यह बात सार्वजनिक रूप से कह दी। इससे तो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोई खतरा पैदा नहीं हुआ। फिर अगर दूसरे मंत्रालय और विभाग या केंद्र सरकार यही बात कह देगी तो उससे क्या खतरा पैदा होगा? रक्षा मंत्रालय की तरह सरकार यह बात नहीं कह रही है तो इससे संदेह पैदा होता है कि उसने इसका इस्तेमाल किया है। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट जांच की इजाजत दे देती है या फ्रांस और इजराइल की जांच से कुछ खुलासा होता है तो सरकार क्या करेगी?
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