बीजू जनता दल और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने विवादित कृषि विधेयकों पर सबको हैरानी में डाल दिया। राज्यसभा में कृषि विधेयक पेश किए जाने से पहले कहा जा रहा था कि ये दोनों पार्टियां सरकार का साथ देंगी। इससे पहले लगभग हर मसले पर कम से कम बीजू जनता दल ने सरकार को समर्थन दिया था। इन दो अलावा आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के बारे में भी तय माना जा रहा था कि ये सरकार के साथ रहेंगे। वाईएसआर कांग्रेस ने तो सरकार का साथ दिया पर टीआरएस और बीजद ने सरकार का विरोध किया। दोनों ने कृषि विधेयकों को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की।
असल में इन दोनों राज्यों में खेती करने वाला समुदाय मजबूत है और तेलंगाना सरकार ने तो किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं। किसानों को नकद पैसा देने की केंद्र सरकार की योजना तेलंगाना सरकार की योजना पर ही आधारित है। इसलिए दोनों ने कृषि विधेयकों पर सरकार का साथ नहीं देने का फैसला किया। यह भी कहा जा रहा है कि सरकार को इन दोनों पार्टियों की राय का पहले पता चल गया था और इसलिए भी सरकार ने दोनों विधेयकों पर वोटिंग नहीं कराने का फैसला किया। हालांकि भाजपा के संसदीय प्रबंधकों का कहना है कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों के बड़ी संख्या में सांसद सदन में मौजूद नहीं थे इसलिए वोटिंग होती तब भी सरकार जीतती। इसके बावजूद वोटिंग नहीं कराना समझ में नहीं आता है। तभी माना जा रहा है कि टीआरएस और बीजद के इनकार ने सरकार को वोटिंग से बचने के लिए मजबूर किया।
बीजद, टीआरएस का सरप्राइज
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