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खैरात बांटने के आइडिया भी चोरी हो रहे हैं!

ByNI Political,
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खैरात बांटने के आइडिया भी चोरी हो रहे हैं!
यूं तो आजकल देश के हर राज्य में चुनाव से पहले पार्टियां मुफ्त में सामान बांटने का ऐलान करती हैं। लेकिन इस राजनीति की शुरुआत छठे दशक में तमिलनाडु में हुई थी। उसके बाद धीरे धीरे यह पूरे देश में फैला। पार्टियां चुनाव से पहले कुछ भी फ्री में बांटने का वादा कर देती हैं। बिजली, पानी, वाई-फाई के अलावा कोई लैपटॉप बांटता है, कोई स्कूटी तो कोई वाशिंग मशीन बांटता है। किसी ने मंगलसूत्र मुफ्त देने का वादा किया तो किसी ने साइकिल और स्कूल ड्रेस फ्री में बांटा। अब मुश्किल यह है कि पार्टियों को हर चुनाव में दिमाग खपाना पड़ रहा है कौन सी चीज मुफ्त में बांटी जाए। तभी इस बार के चुनाव में तमिलनाडु की दोनों पार्टियों डीएमके और अन्ना डीएमके और कुछ दूसरी पार्टियां एक दूसरे पर खैरात बांटने का आइडिया चुराने का आरोप लगा रही हैं। सोचें, दुनिया में किसी आविष्कार के फॉर्मूले चोरी होते हैं या बड़े आइडियाज चुराए जाते हैं पर भारत में यह आइडिया चोरी हो रहा है कि क्या मुफ्त में बांटें। पहली बार चुनाव लड़ रहे कमल हसन ने आइडिया दिया कि सरकार बनी तो घरेलू महिलाओं को एक सम्मान भत्ता दिया जाएगा। अब कांग्रेस से लेकर डीएमके, अन्ना डीएमके आदि सबने इसकी घोषणा कर दी। डीएमके ने लोकसभा चुनाव में गोल्ड लोन माफी की बात कही थी तो अन्ना डीएमके इस बार अंतरिम बजट में इसकी घोषणा कर दी। डीएमके ने पेट्रोल-डीजल के दाम में कमी का वादा किया तो अन्ना डीएमके ने छह सिलिंडर मुफ्त देने का ऐलान कर दिया। छठे-सातवें दशक में प्लास्टिक का डब्बा मुफ्त देने से शुरू करने के बाद तमिलनाडु में पार्टियां मिक्सर, गैस चूल्हा, फैन, वाशिंग मशीन, रंगीन टेलीविजन, साइकिल, स्कूल ड्रेस, लैपटॉप, मंगलसूत्र आदि सब कुछ बांट चुकी हैं तभी उनको हर चुनाव में दिमाग लगाना होता है कि इस बार क्या बांटना हैं। दो साल पहले के तमिलनाडु का बजट दो लाख करोड़ रुपए का था, जिसमें से 75 हजार करोड़ रुपए मुफ्त की चीजें बांटने में खर्च होनी थी।
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