भारतीय जनता पार्टी ने अपने सबसे कर्मठ और योग्य महासचिव और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को मणिपुर का चुनाव प्रभारी है। मणिपुर में भाजपा के सामने कोई कड़ा मुकाबला नहीं है। पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर जीती कांग्रेस को भाजपा ने काफी कमजोर कर दिया है। उसने पिछले चुनाव में 28 सीटें जीती थीं और अभी उसके पास सिर्फ 16 विधायक बचे हैं। इनमें से भी नौ विधायकों के पार्टी छोड़ कर भाजपा में जाने की चर्चा है। प्रदेश में दो क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं, जिनमें से एक नेशनल पीपुल्स पार्टी है और दूसरा नगा पीपुल्स फ्रंट है। ये दोनों भाजपा के साथ ही हैं। नेशनल पीपुल्स पार्टी के साथ भाजपा मेघालय में भी सरकार में शामिल है। सो, इतने अनुकूल माहौल वाले छोटे से राज्य में भूपेंद्र यादव जैसे बड़े नेता को प्रभारी बनाना समझ में नहीं आने वाला फैसला है। (bhupender yadav election manipu)
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भूपेंद्र यादव ने बहुत करीने से बिहार और झारखंड में यादव राजनीति की है। वे ओबीसी के एक बड़े चेहरे के तौर पर उभरे हैं। पार्टी के शीर्ष नेताओं को छोड़ दें तो भूपेंद्र यादव उन गिने-चुने नेताओं में से हैं, जिनकी पहचान और पकड़ कई राज्यों में है। अपने राज्य राजस्थान के अलावा हरियाणा में भी वे लोकप्रिय है और बिहार-झारखंड में भी उनकी अच्छी पकड़ है। ऐसे में उनको उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड या पंजाब का प्रभारी बनाना ज्यादा उपयुक्त होता। जुलाई में हुए मंत्रिमंडल विस्तार के समय भी उनको कानून व न्याय मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी लेकिन उनको वन व पर्यावरण मंत्री बनाया गया। गौरतलब है कि उनको केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बहुत भरोसे का आदमी माना जाता है। बहरहाल, मंत्रिमंडल में कोई बहुत बड़ा मंत्रालय नहीं मिलने के बाद जो अटकलों का दौर शुरू हुआ था वह उनको मणिपुर का प्रभारी बनाए जाने के बाद और तेज हो गया है।
मणिपुर में भी भूपेंद्र यादव!
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