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सबसे कम बैठकें भारतीय विधायिका की

ByNI Desk,
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सबसे कम बैठकें भारतीय विधायिका की
संसद और राज्यों की विधानसभा की बैठकों का एक दिलचस्प आकलन प्रकाशित हुआ है। इसके मुताबिक भारत में साल दर साल संसद और विधानमंडलों की बैठकें कम होती जा रही हैं। दूसरी बात यह है कि अगर दुनिया के दूसरे देशों से इसकी तुलना करें तो भारत की विधायिका में सबसे कम बैठकें होती हैं। जितनी बैठकें होती हैं उनमें भी ज्यादातर समय हंगामे और विवाद में जाता है। असल में भारत में विधायिका का काम अब कानून बनाने से पहले उस पर चर्चा करने और उसके हर पहलू पर विचार करने का नहीं रह गया है। कई मामलों में सरकार पहले ही अध्यादेश के जरिए कानून लागू कर चुकी होती है और अगर नहीं लागू की होती है तब भी तीन मिनट से लेकर तीन घंटे तक की अधिकतम बहस के बाद कानून बन जाता है। decrease meetings legislative assemblies Read also तभी तो पुतिन व शी 21वीं सदी के हिटलर! बहरहाल, भारत में लोकसभा साल में औसतन 63 दिन बैठती है, जबकि राज्यों की विधानसभाओं की औसतन 30 दिन की कार्यवाही होती है। सोचें, पूरे साल में सिर्फ 30 दिन विधानसभाओं की बैठक होती है! इसमें भी पंजाब और हरियाणा की विधानसभा तो साल में औसतन 15 दिन ही बैठती हैं। सबसे ज्यादा ओड़िशा में 46 दिन और केरल में 43 दिन विधानसभा की बैठक होती है। लोकसभा की साल में 63 दिन की बैठक के मुकाबले ब्रिटेन में हाउस ऑफ कॉमंस की 140 दिन बैठक होती है। सोचें, भारत ने ब्रिटेन का ही मॉडल अपनाया है, जो उनके यहां तीन सौ साल से चल रहा है और अब भी उसकी संसद के निचले सदन की एक साल में 140 दिन बैठक होती है और भारत में सिर्फ 63 दिन। अमेरिका के निचले सदन यानी प्रतिनिधि सभा की बैठक कोरोना महामारी के बीच 2021 में 166 दिन और 2020 में 163 दिन हुई। उच्च सदन यानी सीनेट की बैठक इससे ज्यादा हुई।
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