पता नहीं चुनाव आयोग के दिख रहा है या नहीं लेकिन अब पूरे उत्तर प्रदेश में चुनावी रैलियां शुरू हो गईं। आयोग कह सकता है कि उसने तो सिर्फ एक हजार लोगों की भीड़ के साथ रैली करने की इजाजत दी है लेकिन ज्यादा भीड़ जुट रही है तो वे क्या करें! लेकिन क्या आयोग को अपने इस आदेश के असर का अंदाजा नहीं था? जब चुनाव आयोग ने डोर टू डोर कैंपेन में पांच लोगों के जाने की मंजूरी दी थी तब सौ-दो सौ लोग जाते थे। जब उसने इसे बढ़ा कर 10 किया तो पांच सौ से एक हजार लोग डोर टू डोर कैंपेन में दिखने लगे। पश्चिम उत्तर प्रदेश में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हजारों की भीड़ के साथ दरवाजे दरवाजे प्रचार करते दिखाई दिए। election commission political rallies
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क्या इससे आयोग को अंदाजा नहीं हो गया था कि जब 10 लोगों की इजाजत पर हजारों जुड़ रहे हैं तो हजार लोगों की मंजूरी देने से 10-20 हजार लोग जुटने लगेंगे? चुनाव आयोग ने एक फरवरी से एक हजार लोगों के साथ रैली करने की इजाजत दी और दो फरवरी को कम से कम दो ऐसी रैलियां हुईं, जिनमें हजारों लोग इकट्ठा हुए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहसवान में रैली ही, जिसमें भारी भीड़ थी और बसपा प्रमुख मायावती ने आगरा में रैली की, जिसमें हजारों की संख्या में लोग जुटे। आयोग ने खुद ही बिना सोचे समझे रैलियों, डोर टू डोर कैंपेन की इजाजत दी है और पार्टियां व नेता उसका फायदा उठा रहे हैं।
आयोग ने रैलियों की इजाजत दे दी!
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