रियल पालिटिक्स

झारखंड में फिर कोई नया प्रयोग होगा

ByNI Political,
Share
झारखंड में फिर कोई नया प्रयोग होगा
झारखंड राजनीतिक प्रयोग की धरती रही है। नवंबर 2000 में अस्तित्व में आने के बाद पिछले करीब 22 साल में जितने प्रयोग झारखंड में हुए हैं उतने 75 साल पुराने राज्यों में भी नहीं हुए हैं। सबसे पहले झारखंड में ही एक निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री बना और दो साल तक सफलतापूर्वक सरकार चलाई। संसद में वोट देने के लिए रिश्वत लेने का मामला हो या मुख्यमंत्री के उपचुनाव में हार जाने का, वह भी झारखंड में ही हुआ। झारखंड में ही हुआ है कि एक मुख्यमंत्री के नाम पर खदान आवंटित कर दी गई, जबकि मुख्यमंत्री ही खनन मंत्री भी हैं। बाद में जब इस पर विवाद हुआ तो वह खदान वापस कर दिया गया। इस तरह गलती को स्वीकार भी किया गया। इस बीच झारखंड में सियासी हलचल बढ़ गई है। हालांकि वहां हलचल चलती रहती है पर इस बार राज्य की विपक्षी पार्टी भाजपा की वजह से हलचल नहीं मची है, बल्कि केंद्रीय एजेंसियों, संवैधानिक संस्थाओं और अदालतों की वजह से मची है। यह पता नहीं संयोग है या कोई प्रयोग की एक साथ सारी एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। खदान आवंटन को लेकर राज्यपाल के पास शिकायत पहुंची तो राज्यपाल ने उसे तत्काल चुनाव आयोग को भेजा और आयोग ने नियम 192 के तहत राज्य सरकार को नोटिस जारी करके पूछा कि क्या सचमुच मुख्यमंत्री को खदान आवंटित हुआ। अगर यह प्रमाणित होता है, जिसकी संभावना है तो फिर पद के दुरुपयोग का मामला बनेगा और मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना होगा। हालांकि यह तय नहीं है कि इस मामले में सिर्फ इस्तीफा होगा या चुनाव लड़ने पर रोक भी लगेगी। सोनिया गांधी ने लाभ के पद के मामले में इस्तीफा दिया था तो चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगी थी। लेकिन यह लाभ के लिए पद का दुरुपयोग करने का मामला है। इस बीच एक पुरानी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री, उनके विधायक भाई और उनके कुछ करीबियों की संपत्ति और कंपनियों के बारे में रिपोर्ट मांगी है। इसके लिए अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को दो हफ्ते का समय दिया है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के पास कंपनियों का डाटा होता है, जिसे वह अदालत को देगा, लेकिन ईडी बिना जांच किए क्या रिपोर्ट देगी। इसलिए माना जा रहा है कि ईडी की जांच शुरू होगी। सो, हाई कोर्ट से लेकर राज्यपाल और चुनाव आयोग से लेकर केंद्रीय जांच एजेंसियां सब झारखंड में सक्रिय हो गई हैं। इनकी साझा कार्रवाई को देखते हुए लग रहा है कि झारखंड में आने वाले दिनों कुछ नया राजनीतिक प्रयोग होगा।
Tags :
Published

और पढ़ें