
भोजपुरी सिनेमा के तीनों बड़े सितारे अब लोकसभा में पहुंच गए हैं और संयोग है कि तीनों भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर सांसद बने हैं। यह भी संयोग है कि तीनों के तार उत्तर प्रदेश से भी जुड़े हैं। एक संयोग यह भी है कि तीनों अपना पहला लोकसभा चुनाव हार गए। यह भी संयोग है कि इनमें से दो ने अपना पहला चुनाव भाजपा विरोधी पार्टियों से लड़ा था। बिहार के रहने वाले मनोज तिवारी पहले समाजवादी पार्टी की टिकट से गोरखपुर सीट से चुनाव लड़े थे और हार गए थे। उसके बाद वे दिल्ली शिफ्ट हो गए, जहां 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर में वे सांसद बन गए। उसके बाद वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी बने और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए।
उनके बाद लोकसभा में पहुंचे रवि किशन। रवि किशन शुक्ला ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस की टिकट पर जौनपुर सीट से लड़ा था और उनको महज साढ़े चार फीसदी वोट मिले थे। इसके तीन साल बाद 2017 मेंउन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में चले गए। भाजपा ने उनको 2019 में योगी आदित्यनाथ की पारंपरिक गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ाया। इस सीट पर इससे पहले पहले हुए उपचुनाव में भाजपा हारी थी। लेकिन रवि किशन तीन लाख से ज्यादा वोट से जीते।
अब तीसरे भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ भी लोकसभा में पहुंच गए हैं। उन्होंने पहला चुनाव भाजपा की टिकट पर 2019 में आजमगढ़ सीट से ही लड़ा था। तब अखिलेश यादव ने उनको करीब तीन लाख वोट से हराया था। इसके बावजूद वे आजमगढ़ में सक्रिय रहे और इस बार उपचुनाव में उन्होंने सपा के धर्मेंद्र यादव को हरा दिया। वे साढ़े आठ हजार वोट से ही जीते लेकिन जीत तो जीत होती है। अब खेसारी लाल यादव और पवन सिंह की बारी है। खेसारी लाल दव बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के करीबी माने जाते हैं। क्या सांसद बन गए बाकी तीनों स्टार इन दोनों के लिए रास्ता बनवाएंगे?