जापान की कंपनी टोयटा ने मंगलवार को बड़ा ऐलान किया। उसके वाइस प्रेसीडेंट शेखर विश्वनाथन ने कहा कि कंपनी अब भारत में अपने कामकाज का विस्तार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि कंपनी अभी भारतीय बाजार नहीं छोड़ रही है पर अब और निवेश नहीं करेगी और विस्तार नहीं करेगी। विश्वनाथन ने भारत के टैक्स सिस्टम की आलोचना की और कहा कि जब से कंपनी भारत आई है तभी से ऐसा लग रहा है कि यहां उनका स्वागत नहीं कहा है, कहा जा रहा है कि हमें तुम्हारी जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे हम ड्रग्स और शराब बना रहे हैं।
सोचें, दुनिया की एक सम्मानित बहुराष्ट्रीय कंपनी के इतने बड़े अधिकारी के ऐसे तीखे बयान का क्या मतलब है? यह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और मेक इन इंडिया को लेकर किए जा रे दावों पर बड़ा सवाल था। तभी सरकार के हाथ-पांव फूले और डैमेज कंट्रोल शुरू हुआ। टोयटा कंपनी के भारतीय पार्टनर किर्लोस्कर के परिवार के एक सदस्य से बयान दिलवाया गया कि कंपनी भारत में दो हजार करोड़ निवेश करेगी और इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाएगी। फिर एक केंद्रीय मंत्री ने ट्विट करके किर्लोस्कर के बयान की जानकारी दी। हालांकि किर्लोस्कर परिवार के तीन भाइयों में विवाद, मुकदमेबाजी चल रही है और ऐसे में उनके बयान की कोई खास अहमियत नहीं है।