ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत सरकार पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का दम भर रही थी या गुजरात और ओड़िशा में एक-एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की बात हो रही है। पार्टियों और सरकारों की तरह देश के कारोबारी भी इस बात को समझ गए हैं। उनको पता चल गया है कि किस तरह से देश के लोगों को ऊंचे सपने दिखा कर उनको उसमें उलझाए रखा जा सकता है या उन सपनों के जरिए यह समझाया जा सकता है कि सरकार इतना अच्छा काम कर रही है कि देश की अर्थव्यवस्था जल्दी ही दुनिया की दूसरी या तीसरी अर्थव्यवस्था बनने वाली है। विपक्षी पार्टियों की आलोचना का निशाना बन रहे देश के दो सबसे बड़े कारोबारियों ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर नेताओं की तरह दावे किए। उनका दावा इस मकसद से था कि आर्थिक मुश्किलों से लोगों का ध्यान हटे और लोगों को लगे कि सब ठीक चल रहा है।
एशिया के सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडानी ने कहा कि भारत को एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने में 58 साल लगे थे लेकिन अब 12 से 18 महीने में देश की अर्थव्यवस्था में एक ट्रिलियन डॉलर जुड़ेगा और 2050 तक भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। उन्होंने तब तक भारत के 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का दावा किया। अभी तक भाजपा या केंद्र सरकार ने ऐसा दावा नहीं किया है। जब गौतम अडानी ने यह दावा किया तो देश के दूसरे सबसे अमीर कारोबरी मुकेश अंबानी कैसे पीछे रहते। सो, उन्होंने कहा कि 2047 तक यानी जब देश की आजादी के सौ साल पूरे होंगे तब तक भारत 40 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी वाला देश बन जाएगा।
अंबानी, अडानी के भी बढ़ चढ़ कर दावे
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