
पिछले साल विधानसभा का चुनाव जीतने के कुछ दिन बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दिल्ली आईं तो एक बड़े जलसे में कई नेता उनकी पार्टी में शामिल हुए। उनकी प्रचार टीम ने एक इवेंट क्रिएट किया। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अशोक तंवर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए। भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में घर वापसी कर चुके कीर्ति आजाद और जनता दल यू के राज्यसभा सांसद रहे पवन वर्मा भी तृणमूल में शामिल हुए। उसी समय गोवा जाकर ममता बनर्जी ने कई नेताओं और मशहूर हस्तियों को अपनी पार्टी में शामिल कराया। Trinamool campaign derailed
तब ऐसा लग रहा था कि ममता बनर्जी राष्ट्रीय राजनीतिक फलक पर छा गई हैं और वे भाजपा के खिलाफ मुख्य विपक्ष होंगी। लेकिन छह महीने भी नहीं बीते और तस्वीर बदल गई। उनकी पार्टी में शामिल हुए अशोक तंवर आम आदमी पार्टी में चले गए। कीर्ति आजाद कहां हैं उनका कुछ अता-पता नहीं है। पहले कहा जा रहा था कि वे आसनसोल की खाली हुई लोकसभा सीट पर तृणमूल की टिकट से लड़ेंगे परंतु ममता बनर्जी ने इस सीट से शत्रुघ्न सिन्हा को उतार दिया। इसलिए कीर्ति आजाद का भी मोहभंग हुआ है। पवन वर्मा को ममता ने पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है और वे पार्टी के साथ हैं भी लेकिन पार्टी और परिवार के अंदर जिस तरह की राजनीति चल रही है उसे देखते हुए उन्होंने राजनीतिक सक्रियता न्यूनतम रखी है।
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उधर गोवा में पार्टी के सारे नेता और मशहूर हस्तियां अब दूसरा रास्ता तलाश रही हैं। चर्चिल अलेमाओ सहित तृणमूल का एक भी नेता कोई सीट नहीं जीत सका। इसके उलट आम आदमी पार्टी दो सीटों पर जीत गई। इसलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों से अलग राजनीति करने की इच्छा रखने वाले नेताओं की पहली पसंद अब आम आदमी पार्टी है। ममता ने टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस और फिल्म अभिनेत्री रहीं नफीसा अली को भी पार्टी में शामिल कराया था लेकिन उनकी भी कोई उपयोगिता नहीं दिख रही है।
सो, ममता बनर्जी ने दो मई 2021 को पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव जीता था और 10 मार्च 2022 आते आते 10 महीने में ही उनकी जीत से बना माहौल खत्म हो गया और मोमेंटम शिफ्ट होकर आम आदमी पार्टी की तरफ चला गया। आम आदमी पार्टी के पंजाब चुनाव जीतते ही सबका ध्यान तृणमूल कांग्रेस से हट कर उसकी तरफ हो गया। बंगाल जीतने के बाद जिस तरह ममता ने कई राज्यों की दौड़ लगाई थी, वैसी दौड़ अब अरविंद केजरीवाल लगा रहे हैं। वे अपने साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को लेकर गुजरात गए और अब हिमाचल प्रदेश उनका रोड शो होने वाला है। माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में हाल हुई राजनीतिक हिंसा की घटनाओं और परिवार के अंदर भतीजे अभिषेक बनर्जी को लेकर चल रही खींचतान के कारण ममता का अभियान पटरी से उतरा है।