
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चमक खो रही है। उनकी पार्टी का अभियान भी पटरी से उतर गया है। उनकी जगह अब अरविंद केजरीवाल की चर्चा राष्ट्रीय विकल्प के तौर पर हो रही है और ममता से ज्यादा सक्रियता एनसीपी प्रमुख शरद पवार दिखा रहे हैं। इसलिए ममता की पार्टी ने नया दांव चलने का फैसला किया है। उनकी पार्टी के सांसदों ने महिला आरक्षण बिल का मुद्दा उठाया है। यह बिल काफी समय से संसद में लंबित है। तृणमूल के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने एक नोटिस देकर बिल पेश करने की मांग की। हालांकि सरकार इसे अभी पेश नहीं करने जा रही है। वैसे भी आठ अप्रैल को संसद का बजट सत्र समाप्त हो गया।
असल में ममता बनर्जी और उनके रणनीतिकार किसी ऐसे मुद्दे की तलाश में हैं, जिस पर वे अखिल भारतीय राजनीति कर सकें। ध्यान रहे कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मुद्दा उठाया था और ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा देकर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस को इससे ज्यादा फायदा नहीं हुआ लेकिन महिलाओं का मुद्दा चर्चा में आया। ममता बनर्जी ने प्रियंका से पहले यह मुद्दा उठाया था और लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में महिला उम्मीदवार उतारे थे। इसलिए वे महिला अधिकारों की चैंपियन के तौर पर अखिल भारतीय राजनीति करने पर विचार कर रही हैं। इस सोच में ही उनकी पार्टी ने महिला आरक्षण बिल का मुद्दा उठाया। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों पार्टी की ओर से यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया जाएगा। प्रियंका की तरह ममता भी पार्टी की टिकटों में और पदाधिकारी बनाने में महिलाओं के लिए एक निश्चित आरक्षण का प्रावधान कर सकती हैं।