प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा का हर छोटा बड़ा नेता राज्यों के चुनाव में डबल इंजन सरकार की बात करता है। अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने राज्य में हो रहे नगर निगम चुनाव में ट्रिपल इंजन सरकार की बात की है। उन्होंने लोगों से कहा है कि विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए तीसरा इंजन लगाने की जरूरत है। सोचें, डबल इंजन की सरकार यानी केंद्र और राज्य की सरकार पिछले छह साल से जो विकास नहीं कर पा रही वह नगर निगम का तीसरा इंजन जुड़ने के बाद होगा। अगर भाजपा यह भी जीत जाती है तो क्या पंचायत चुनावों में चौथा इंजन लगाने के नाम पर वोट मांगा जाएगा?
वैसे यह प्रचार अपने आप में संविधान और संघवाद की धारणा के उलट है कि डबल इंजन से विकास होगा। अगर डबल इंजन नहीं है तो क्या विकास नहीं होगा? इसका एक अर्थ यह भी निकलता है कि केंद्र में जो सत्तारूढ़ दल है अगर उसी दल की सरकार किसी राज्य में नहीं होती है तो उसके साथ भेदभाव होगा, उसके फंड कम मिलेगा या विकास योजनाओं में उसकी हिस्सेदारी कम होगी और अगर उसी दल की सरकार राज्यों में है तो वहां पक्षपात होगा और उसे ज्यादा फंड मिलेगा। यह स्वाभाविक निष्कर्ष है इसके बावजूद कोई भी डबल इंजन सरकार के प्रचार पर सवाल नहीं उठाता है।