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त्रिपुरा में भाजपा की मजबूरी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने त्रिपुरा की मुख्य विपक्षी पार्टी तिपरा मोथा के नेता प्रद्योत देबबर्मा से मुलाकात की है। चुनाव नतीजे आने से एक दिन पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी देबबर्मा से मिले थे। लेकिन तब स्थिति अलग थी। चुनाव नतीजों के बाद स्थिति बदल गई है। भाजपा को पूर्ण बहुमत मिल गया है लेकिन उसकी समस्या बढ़ गई है।  60 सदस्यों की विधानसभा में भाजपा के 32 विधायक जीते हैं और उसकी सहयोगी आईपीएफटी का एक विधायक जीता है। इस तरह से भाजपा को अपने दम पर सिर्फ दो विधायक का बहुमत है। मुश्किल यह है कि भाजपा की एक सांसद प्रतिमा भौमिक भी विधानसभा का चुनाव लड़ी हैं। उनको मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया है और न मंत्री बनाया गया है।

तभी ऐसा लग रहा है कि प्रतिमा भौमिक विधानसभा सीट से इस्तीफा देंगी। ऐसा ही पश्चिम बंगाल में भी हुआ था। वहां भी चुनाव जीते भाजपा के दो सांसदों ने विधानसभा से इस्तीफा दिया था। प्रतिमा भौमिक के इस्तीफे के बाद भाजपा के पास सिर्फ एक सीट का बहुमत रह जाएगा। तभी ऐसा लग रहा है कि भाजपा सरकार की स्थिरता के लिए प्रद्योत देबबर्मा से बात कर रही है। देबबर्मा त्रिपुरा के बंटवारे की मांग करते रहे हैं लेकिन अब वे इसे छोड़ने को तैयार दिख रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त परिषद को ज्यादा अधिकार देने के लिए तैयार हो गई है। सो, ऐसा लग रहा है कि दोनों के बीच सहमति बन जाएगी। इसके बाद राज्य सरकार और परिषद दोनों जगह प्रद्योत देबबर्मा की पार्टी सरकार में शामिल हो सकती है।

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