अगले महीने त्रिपुरा में विधानसभा का चुनाव होने वाला है, जहां भाजपा अपनी सरकार बचाने की जद्दोजहद में है। एंटी इन्कंबैंसी कम करने और पार्टी के नाराज नेताओं को संतुष्ट करने के लिए आलाकमान ने मुख्यमंत्री बदल दिया। कांग्रेस से आए नेता को मुख्यमंत्री बना दिया। इसके बावजूद भाजपा की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। उसके और उसकी सहयोगी पार्टी के आठ विधायक पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। भाजपा की असली समस्या यह है कि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी सीपीएम का तालमेल कांग्रेस और नई बनी पार्टी तिपरा मोथ के साथ होने की चर्चा चल रही है। इससे विपक्षी वोट एकजुट होगा और भाजपा को दिक्कत होगी।
ऐसा लग रहा है कि तभी भाजपा की ओर से लेफ्ट की साख बिगाड़ने का प्रयास शुरू हुआ है। पश्चिम बंगाल में भाजपा विधायक दल के नेता शुभेंदु अधिकारी ने एक बयान में कहा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान नंदीग्राम सीट पर लेफ्ट पार्टियों ने ममता बनर्जी को हराने में उनकी मदद की थी। उन्होंने कहा कि वे लेफ्ट की मदद से ममता को हरा पाए। वे पंचायत चुनावों में लेफ्ट की मदद लेने की बात भी कर रहे हैं। उनके इस बयान से कंफ्यूजन बनेगा। कांग्रेस के साथ तालमेल पर पता नहीं कितना असर होगा लेकिन त्रिपुरा में पैर जमाने की कोशिश कर रही तृणमूल कांग्रेस को यह कहने का मौका मिलेगा कि भाजपा और लेफ्ट मिले हुए हैं। बंगाल के पंचायत चुनाव और त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव के लिए यह बड़ा दांव है।