
न्यूज चैनलों के प्रबंधन में अफरातफरी मची है। टीआरपी का घोटाला एक राष्ट्रीय और महाराष्ट्र के दो क्षेत्रीय चैनलों को लेकर शुरू हुआ था पर देश के सारे चैनलों के हाथ-पांव फूले हुए हैं क्योंकि सबने कभी न कभी पैसे देकर टीआरपी बढ़वाने का खेल किया होगा। ऐसा लग रहा है कि सरकार ने भी चैनलों की इस घबराहट को भांप लिया और इस मौके का फायदा उठाने के लिए अपना दांव चल दिया है। सरकार का दांव इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने का है। तभी न्यूज चैनलों के समूह इसका विरोध कर रहे हैं। न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन की ओर से सरकार को चिट्ठी लिखी गई है कि वह तत्काल सीबीआई जांच को निरस्त करे।
न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन, एनबीए के अध्यक्ष रजत शर्मा ने सरकार को चिट्ठी लिख कर कहा है कि जिस रफ्तार से इस मामले में कार्रवाई हुई है उससे संदेह पैदा होता है। असल में यह मामला मुंबई का है, जहां मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी और दो दूसरे चैनलों के कर्मचारियों और टीआरपी के बक्से लगाने वाली एजेंसी हंसा रिसर्च के कुछ लोगों को पकड़ा और यह खुलासा किया कि पैसे देकर टीआरपी बढ़वाई जाती है और उस पर करोड़ों करोड़ के विज्ञापन लिए जाते हैं।
मुंबई पुलिस इस मामले की जांच कर ही रही थी कि एक दिन अचानक लखनऊ में इस सिलसिले में एक मामला दर्ज हुआ और राज्य सरकार ने आननफानन में इसकी सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। कुछ घंटों में केंद्र सरकार ने सिफारिश मान ली और उसके कुछ घंटों में ही सीबीआई ने जांच अपने हाथ में भी ले ली। इस घटनाक्रम के तुरंत बाद महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई को राज्य की ओर दी गई जेनरल कंसेन्ट वापस ले ली। तब माना गया था कि सरकार रिपब्लिक को बचाना चाहती है इसलिए सीबीआई इसमें शामिल हुई है। पर अब लग रहा है कि सीबीआई बाकी चैनलों की जांच शुरू करने और उनकी नकेल कसने आई है। तभी ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों में घबराहट है और वे चाहते हैं कि किसी तरह से सीबीआई की जांच खत्म हो और महाराष्ट्र में एक-दो चैनलों की जांच के बाद मामला रफा-दफा हो। पर ऐसा होना आसान नहीं दिख रहा है।