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पीके की सलाह पर अमल जरूरी

ByNI Political,
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पीके की सलाह पर अमल जरूरी
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को दिए प्रेजेंटेशशन में कई अच्छी बातें कही थीं, जिनमें एक अच्छी बात यह थी कि पार्टी के कार्यक्रमों में निरंतरता होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि पार्टी कार्यक्रम तय करके सड़क पर उतरे और अपने विरोध को जन विरोध में बदलने का प्रयास करे। किसी भी मसले पर एक ट्विट यहां से और एक ट्विट वहां से करने से राजनीतिक आंदोलन नहीं खड़े होते हैं। प्रशांत किशोर ने कई बार बाहर भी यह बात दोहराई कि कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां कोई जन आंदोलन नहीं खड़ा कर पा रही है। महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी जैसी अनेक समस्याएं हैं और इन्हें लेकर लोग नाराज भी हैं लेकि कांग्रेस लोगों की नाराजगी को आवाज नहीं दे पा रही है। मिसाल के तौर पर कोरोना वायरस की महामारी को लिया जा सकता है। महामारी के दौरान ऑक्सीजन, दवा और इलाज की कमी से हजारों लोगों की मौत हुई। लाखों-करोड़ों लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हुआ इसके बावजूद कोरोना के बाद हुए चुनावों में भाजपा को बड़ी जीत मिली। इसका कारण यह है कि कांग्रेस या दूसरी विपक्षी पार्टियां महामारी के समय हुई लोगों को मुश्किलों को लेकर कोई आंदोलन नहीं कर पाई। कोरोना के बहाने सब घर में बैठे रहे और वहीं से ट्विट करते रहे। इससे काम नहीं होगा। जैसे किसानों ने एक मुद्दा उठाया और एक साल तक उस पर डटे रहे तब देश के आम लोगों ने और सरकार ने भी नोटिस लिया और सरकार ने उनकी बात मानते हुए कानून वापस लिया। इसलिए किसी भी एजेंडे या मुद्दे की सफलता के लिए निरंतरता सबसे जरूरी है। अगर उदयपुर के चिंतन शिविर में कांग्रेस पार्टी अगले दो साल के लिए कोई कार्यक्रम तय करती है तो सबसे पहले यह सुनिश्चित करे कि वह कार्यक्रम लगातार चलेगा। शुरू में भले उस पर सफलता न मिले लेकिन लगातार चलने से लोगों का ध्यान उस पर जाएगा और लोग उसका नोटिस लेंगे।
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