प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपनी और सरकार की उपलब्धियों का बखान करते हुए कहते हैं कि ‘बड़े बड़े देश भी वह काम नहीं कर सके जो हमारी सरकार ने कर दिया’। वे कहते हैं और उसके बाद उनकी पार्टी के नेता और सरकार के मंत्री इसे दोहराने लगते हैं। फिर सोशल मीडिया में और आम लोगों के बीच भी बिना सोचे-समझे कहा जाने लगता है कि बड़े बड़े देश जो नहीं कर सके वह मोदीजी ने कर दिया। इस तरह का ताजा बयान उन्होंने यूक्रेन से भारतीय नागरिकों और छात्रों को निकालने के मामले में दिया। उन्होंने रविवार को महाराष्ट्र के पुणे में एक कार्यक्रम में कहा कि यूक्रेन से भारतीय छात्रों को निकालने में भारत ने वह कर दिखाया है, जो बड़े बड़े देश भी नहीं कर सकते। इससे पहले कोरोना प्रबंधन और वैक्सीनेशन के मामले में यह बात कई बार कही गई। और भी अनगिनत मामले हैं, जिसमें बिना किसी स्पष्ट संदर्भ के प्रधानमंत्री ‘बड़े बड़े देशों’ की बात करते हैं। ukraine china Narendra modi
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सोचें, ‘बड़े बड़े देशों’ से उनका क्या मतलब है? आबादी के हिसाब से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। अर्थव्यवस्था के लिहाज से भारत दुनिया का पांचवां या छठा सबसे बड़ा देश है। भौगोलिक रूप से भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश है। यानी भारत खुद दूसरे से सातवें स्थान का सबसे बड़ा देश है। फिर प्रधानमंत्री किन देशों को बड़े बड़े देश बताते हैं? क्या यूक्रेन में अमेरिका, चीन, फ्रांस, जापान, जर्मनी के बच्चे फंसे हैं, जिन्हें वे नहीं निकाल पा रहे हैं और भारत ने अपने बच्चों को निकाल लिया? भारत के बच्चे को वीडियो बना कर बता रहे हैं कि मिस्र और नाइजीरिया की सरकार विमान भेज कर अपने बच्चों को निकाल रही है! जाहिर है मिस्र, नाइजीरिया जैसे देशों के बच्चे यूक्रेन में फंसे हैं क्या प्रधानमंत्री उन्हीं को ‘बड़े बड़े देश’ कह रहे हैं? असल में भारत खुद ही एक बड़ा देश है। लेकिन अपने समर्थकों के बरगलाए रखने के लिए प्रधानमंत्री देश को छोटा और खुद को बहुत बड़ा बनाते हैं ताकि यह नैरेटिव बनाया जा सके कि देश तो कुछ नहीं, मैंने बड़े बड़े देशों के मुकाबले बेहतर काम कर दिया।
‘बड़े बड़े देशों’ से पीएम का क्या मतलब है?
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