
यह लाख टके का सवाल है कि क्या कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में कोई तालमेल है? कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की ओर से जारी 125 उम्मीदवारों की पहली सूची देख कर यह गणित बैठाया जा रहा है कि इससे किसको फायदा है और किसको नुकसान। प्रियंका गांधी ने 32 सीटों पर दलित उम्मीदवारों की घोषणा की है। इसमें कुछ नया नहीं है क्योंकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर दलित उम्मीदवार ही देना है। लेकिन असली बात यह है कि प्रियंका ने 20 ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं। अगर कुल सवर्ण उम्मीदवारों की बात करें तो कांग्रेस की सूची में 47 सवर्ण हैं। इसमें ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य और सिखों के अलावा एक-एक भूमिहार और कायस्थ भी हैं। यह भाजपा का कोर वोट है, जिसमें अगर कांग्रेस थोड़ी भी सेंध लगाती है तो उसका सीधा फायदा समाजवादी पार्टी को होगा। इसके अलावा 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दिया गया है। सपा और रालोद के कोर वोट की महिलाओं से ज्यादा मध्यवर्गीय महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित होंगा और अगर उनका वोट टूटा तो उसका नुकसान भी भाजपा को होगा। up election congress sp
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हालांकि ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने सपा के कोर वोट से जुड़े उम्मीदवार नहीं उतारे हैं लेकिन एक तो उनकी संख्या कम है और दूसरे उम्मीदवार कमजोर हैं। कांग्रेस ने पहली सूची में 20 मुस्लिम उम्मीदवार दिए हैं लेकिन एकाध को छोड़ कर कोई उम्मीदवार ऐसा नहीं है, जो वोट काट सके। इसी तरह पहली सूची में सिर्फ पांच यादव उम्मीदवार हैं। जाहिर सपा के कोर वोट का ख्याल रखा गया है। अन्य पिछड़ी जातियों के नेता सपा में जा रहे हैं इसलिए कांग्रेस ने अन्य पिछड़ी जाति के सिर्फ 18 उम्मीदवार दिए हैं। खबर है कि सपा ने भी उन्नाव में रेप पीड़ित युवती की मां के खिलाफ उम्मीदवार नहीं देने का फैसला किया है। यह भी कांग्रेस के प्रति सद्भाव दिखाना ही है। लेकिन सवाल है कि क्या सपा इस तरह से कांग्रेस की कोई मदद उत्तराखंड में करेगी?