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भाजपा का ग़डबडाता सामाजिक समीकरण

ByNI Political,
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भाजपा का ग़डबडाता सामाजिक समीकरण
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा चिंता सत्तारूढ़ भाजपा के सामने है। तभी पार्टी के शीर्ष नेताओं पिछले कई दिनों माथापच्ची कर रहे हैं। दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने संघ पदाधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की और उसके बाद पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष उत्तर प्रदेश जाकर बैठे हैं। संतोष पार्टी के विधायकों और मंत्रियों से बात कर रहे हैं और सरकार व संगठन दोनों में बड़े बदलाव के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं। पार्टी के नेता और रणनीतिकार यह अंदाजा लगा रहे हैं कि कोरोना वायरस के कुप्रबंधन की वजह से पार्टी और राज्य सरकार की छवि बिगड़ी है और लोगों में नाराजगी है। गंगा किनारे शव दफनाने और गंगा में लाशों के बहने की खबरों से सरकार की इमेज बिगड़ी है। परंतु यह तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है। असल में पिछले करीब साढ़े चार साल के भाजपा राज में पार्टी का सामाजिक समीकरण बिगड़ा है। अलग अलग जाति के हिसाब से आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं पर ब्राह्मण राजनीति करने वालों और सामाजिक संगठन चलाने वालों का कहना है कि सैकड़ों की संख्या में ब्राह्मण पिछले चार साल में मारे गए हैं और सर्वाधिक उपेक्षित जाति ब्राह्मण है। सो, इस बार ब्राह्माण भाजपा को वोट नहीं करेगा। किसान आंदोलन की वजह से जाट नाराज हैं इसलिए वे भी भाजपा को वोट नहीं करेंगे। यादव और मुस्लिम पहले भी भाजपा को वोट नहीं करते थे और दलित मोटे तौर पर बहुजन समाज पार्टी के साथ है। ऐसे में गैर ब्राह्मण अगड़ी जातियों और गैर यादव पिछड़ी जातियों के वोट के सहारे भाजपा चुनाव में उतरती है तो उसकी जीत की संभावना बहुत कम रह जाएगी। सो, भाजपा और संघ के रणनीतिकारों की असली चिंता सरकार की छवि नहीं, बल्कि पार्टी का सामाजिक समीकरण ठीक करने की है।
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