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मोदी का चेहरा बचाना या कुछ और बात?

ByNI Political,
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मोदी का चेहरा बचाना या कुछ और बात?
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के नेतृत्व में दिल्ली में तीन दिन तक चली शीर्ष 10 पदाधिकारियों की बैठक में एक अहम फैसला होने की खबर है। बताया जा रहा है कि संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा और उनकी साख बचाने के प्रयासों के तहत उनके चेहरे पर राज्यों का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। खास कर उन राज्यों का चुनाव, जहां मजबूत प्रादेशिक क्षत्रप हैं। आरएसएस के लग रह है कि प्रादेशिक क्षत्रपों के साथ मोदी का टकराव बढ़ाने से मोदी की छवि पर असर हो रहा है।

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चूंकि संघ में इस बात पर चर्चा ऐसे समय में हुई है, जब उत्तर प्रदेश के चुनाव की तैयारी हो रही है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रधानमंत्री मोदी के साथ टकराव की खबरें आ रही हैं, इसलिए संघ की इस बात को यूपी चुनाव के साथ जोड़ा जा रहा है। कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में संघ ने तय किया है कि चुनाव योगी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा और इसलिए हर जगह अब प्रमुखता के साथ योगी का चेहरा दिखाया जा रहा है। प्रदेश भाजपा के ट्विटर हैंडल पर मोदी का चेहरा नहीं होना भी इस रणनीति का ही हिस्सा बताया जा रहा है।

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जानकार सूत्रों का कहना है कि संघ की बैठक में इस बात पर विस्तार से चर्चा हुई कि किस तरह से मोदी का चेहरा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बचाया जाए। संघ नहीं चाहता है कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी के बारे में यह धारणा बने कि उनको हराया जा सकता है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से संघ और भाजपा दोनों में इस बात की चिंता बढ़ी है। बंगाल में भाजपा ने मोदी को पूरी तरह से दांव पर लगा दिया था। इसके बावजूद ममता पहले से ज्यादा सीटों के साथ जीतीं। इससे पूरे देश में यह मैसेज गया कि ममता ने मोदी को हरा दिया।

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ध्यान रहे बंगाल की ही तरह उत्तर प्रदेश में भी दो मजबूत क्षत्रप हैं- अखिलेश यादव और मायावती। इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा बनाम सपा यानी योगी आदित्यनाथ बनाम अखिलेश यादव होगा। संघ को लगता है कि अखिलेश से मुकाबले में मोदी का चेहरा नहीं सामने पेश करना चाहिए क्योंकि इससे नुकसान हो सकता है। इस पर सहमति बनी बताई जा रही है कि, जहां भाजपा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला हो वहां मोदी का चेहरा दिखाया जाए क्योंकि मोदी कांग्रेस विरोध का प्रतीक चेहरा हैं। कांग्रेस के मुकाबले उनका चेहरा दिखाने पर भाजपा को फायदा होगा। लेकिन प्रादेशिक क्षत्रपों के मुकाबले उनका चेहरा पार्टी के लिए और खुद उनके  लिए भी नुकसानदेह है। इसलिए कहा जा रहा है कि अगले साल के चुनाव में उत्तर प्रदेश में मोदी का चेहरा नहीं होगा लेकिन उत्तराखंड, पंजाब और गोवा में साल के अंत में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में पार्टी मोदी के चेहरे पर ही लड़ेगी।
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