बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती का कांग्रेस पार्टी का विरोध तेज होता जा रहा है। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की सक्रियता ने उनको चिंता में डाला है। तभी वे 22 मई को सोनिया गांधी की बुलाई विपक्षी पार्टियों की बैठक में भी शामिल नहीं हुईं और मजदूरों की समस्या के लिए भाजपा के साथ साथ कांग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि इसमें कांग्रेस का कोई रोल नहीं है। कांग्रेस छह साल से केंद्र की सत्ता से और 21 साल से उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर है। ऐसे में उसकी आलोचना का कोई मतलब नहीं बनता है फिर भी मायावती ने भाजपा और योगी आदित्यनाथ के साथ साथ कांग्रेस की भी आलोचना की।
यह भी खबर है कि मायावती की पार्टी बसपा मध्य प्रदेश में अगले कुछ दिन में होने वाला 24 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में अकेले सभी सीटों पर लड़ेगी। ध्यान रहे मध्य प्रदेश में बसपा ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को समर्थन दिया था पर अब वह कांग्रेस के खिलाफ खड़ी हैं। राज्य में जिन 24 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं उनमें से ज्यादा चंबल ग्वालियर संभाग के हैं, जिस इलाके में मायावती की पार्टी का पुराना असर रहा है। अगर वे कांग्रेस का साथ देतीं तो कांग्रेस कुछ टक्कर दे सकती थी। पर अगर वे अकेले सभी सीटों पर लड़ती हैं तो कांग्रेस को नुकसान ही करेंगी। यह भी कहा जा रहा है कि सपा से तालमेल तोड़ने और कांग्रेस विरोध की वजह से भाजपा के नजदीक जा सकती हैं।
मायावती का कांग्रेस विरोध बढ़ रहा है
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