समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कमाल की बात कही। उन्होंने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का निमंत्रण नहीं मिलने की बात कही और अपने को उससे अलग किया लेकिन साथ ही कहा कि कांग्रेस भी भाजपा जैसी है। उन्होंने एक और दिलचस्प बात की कि समाजवादी पार्टी की अलग विचारधारा है। सोचें, नेताओं का ऐसा आत्मविश्वास होता है! बहरहाल, विचारधारा की बात छोड़ें, उस पर क्या चर्चा करनी है तब भी उन्होंने कांग्रेस को भाजपा जैसा बता कर कांग्रेस पर जो हमला किया वह बहुत हैरान करने वाला है। किसी ने उनसे पूछा नहीं कि कांग्रेस कब से भाजपा जैसी हुई है? जाहिर है 2017 के बाद ही हुई होगी क्योंकि 2017 में वह भाजपा जैसी नहीं थी तभी तो अखिलेश ने कांग्रेस से तालमेल किया था और ‘यूपी के दो लड़के’ भाजपा को रोकने निकले थे।
बहरहाल, उन्होंने कांग्रेस पर जैसा हमला किया उससे यह सवाल उठा है कि क्या वे भी बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती के रास्ते पर जाएंगे? मायावती काफी समय से कांग्रेस को भाजपा जैसा बताती रही हैं। वे पिछले कुछ समय से किसी न किसी तरीके से भाजपा की मदद कर रही हैं। उनकी निष्क्रियता से उनका वोट भाजपा को ट्रांसफर हुआ है और पिछले चुनावों में उनके उम्मीदवारों ने भाजपा की मदद की। क्या वैसा ही कोई अज्ञात कारण है, जिसकी वजह से अखिलेश यादव विपक्षी एकता से दूरी बना रहे हैं और परोक्ष रूप से यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि भाजपा चुनाव जीते? या यह कारण है कि उनको कांग्रेस की चिंता सता रही है या उनको लग रहा है कि कांग्रेस वापसी कर सकती है? कांग्रेस को भाजपा जैसा बता कर वे राज्य के अल्पसंख्यक वोटों का एकमात्र दावेदार अपनी पार्टी को बना रहे हैं। संभव है कि राहुल की यात्रा से कांग्रेस को फायदा होने की चिंता में उन्होंने कांग्रेस पर हमला किया हो।