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यूपीए रहेगा या कोई नया मोर्चा बनेगा?

यूपीए रहेगा या कोई नया मोर्चा बनेगा?

विपक्षी पार्टियां अगर लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट होती हैं तो वह एकजुटता किस बैनर के तले होगी? कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए में ही सभी पार्टियां शामिल होंगी या लोकसभा चुनाव के लिए कोई अलग मोर्चा बनेगा? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कई पार्टियों को कांग्रेस के साथ यूपीए में शामिल होने में आपत्ति है। इतना ही नहीं कई ऐसी पार्टियां हैं, जो अब भी कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं लेकिन उस गठबंध को यूपीए नहीं कहा जाता है। इसलिए कुछ क्षेत्रीय नेता संयुक्त मोर्चा या राष्ट्रीय मोर्चा की तर्ज पर अलग मोर्चा बनाने की बात कर रहे हैं, जिसमें कांग्रेस भी एक घटक दल हो।

अभी जो यूपीए है वह 2004 के लोकसभा चुनाव के समय बना था और उसकी कमान तभी से कांग्रेस के हाथ में है। इसमें कांग्रेस के पुराने सहयोगी घटक दल के रूप में शामिल हैं। लेकिन कई राज्यों में इससे अलग मोर्चा भी बना है। जैसे बिहार में लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल यूपीए का घटक दल है, लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जदयू यूपीए में शामिल नहीं है। इसलिए बिहार में सरकार बनाने के लिए जो गठबंधन बना उसे महागठबंधन का नाम दिया गया। उसमें राजद और कांग्रेस के साथ साथ जदयू, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई एमएल, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी शामिल हैं। ध्यान रहे लेफ्ट की तीनों पार्टियां और हम व वीआईपी भी यूपीए के घटक नहीं हैं।

इसी तरह महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी एनसीपी यूपीए का घटक दल है लेकिन शिव सेना का उद्धव ठाकरे गुट अभी यूपीए में शामिल नहीं हुआ है। इसलिए वहां जब ये तीनों पार्टियां एक साथ आईं तो उनके मोर्चे को महा विकास अघाड़ी यानी एमवीए का नाम दिया गया। वह एमवीए अब भी है। जम्मू कश्मीर में विधानसभा भंग होने से पहले 2018 में राज्य की दोनों प्रादेशिक पार्टियों- पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने कांग्रेस के साथ मिल कर सरकार बनाने की पहल की थी। लेकिन तब भी वे पार्टियां यूपीए में शामिल नहीं हुईं। बाद में 2019 में जब अनुच्छेद 370 समाप्त हुआ और राज्य के नेता नजरबंद किए गए तो नजरबंदी समाप्त होने के बाद वहां गुपकर एलायंस नाम से एक गठबंधन बना।

इसके अलावा कई ऐसी पार्टियां हैं, जिनके साथ तालमेल करके अलग अलग राज्यों में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा लेकिन वो पार्टियां यूपीए में शामिल नहीं हुईं। जैसे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का 2017 के चुनाव में तालमेल हुआ था। पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में सीपीएम और कांग्रेस मिल कर चुनाव लड़े थे। लेकिन यह तय है कि कम्युनिस्ट पार्टियां यूपीए में शामिल नहीं होंगी। तभी इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि यूपीए की बजाय एक अलग मोर्चा बने। उसे नया नाम दिया जाए और उसका एक एजेंडा तय हो। साथ ही उसका एक नया नेता भी चुना जाए।

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