बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए से सवर्ण नेताओं की छुट्टी हो गई है। एनडीए में शामिल पार्टियों की कमान पूरी तरह से पिछड़े नेताओं के हाथ में सौंप दी गई है। एनडीए में शामिल चारों पार्टियों- जदयू, भाजपा, विकासशील इंसान पार्टी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चाका नेतृत्व पिछड़ा या दलित है। दिखावे के लिए भी इनमें से किसी पार्टी ने किसी सवर्ण नेता को कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी है। गठबंधन का नेतृत्व कर रहे जनता दल यू का राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को बनाया गया है, जो कुर्मी जाति से आते हैं। प्रदेश अध्यक्ष पद से ठाकुर नेता वशिष्ठ नारायण सिंह की विदाई के बाद कोईरी नेता उमेश कुशवाहा को जिम्मेदारी दी गई है। सो, कुर्मी मुख्यमंत्री, कुर्मी राष्ट्रीय अध्यक्ष और कोईरी प्रदेश अध्यक्ष हो गया। इस तरह नीतीश कुमार अपने 1994 के असली लव-कुश समीकरण पर लौट गए।
उधर भाजपा ने पश्चिमी चंपारण के सांसद संजय जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। वे वैश्य समुदाय से आते हैं। वैश्य भले देश भर में अगड़े माने जाते हैं पर बिहार में वे पिछड़ी जाति हैं। पार्टी ने दो उप मुख्यमंत्री बनाए हैं। एक तारकिशोर प्रसाद वैश्य हैं और दूसरी रेणु देवी नोनिया समाज से आती हैं, जो अति पिछड़ी जाति की सूची में है। उत्तर प्रदेश के पूर्व भाजपा विधायक और इसी नोनिया समाज से आने वाले फागू चौहान राज्य के राज्यपाल हैं। पार्टी के प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव हैं। गठबंधन में शामिल तीसरी पार्टी वीआईपी है, जिसके नेता मुकेश साहनी हैं। वे राज्य सरकार में मंत्री भी हैं। चौथी पार्टी हम है, जिसके नेता जीतन राम मांझी हैं, जो दलित समुदाय से आते हैं।