up assembly election 2021 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की छोटी-छोटी पार्टियों ने अपना खेल शुरू कर दिया है। इन छोटी पार्टियों ने प्रदेश की बड़ी पार्टियों का सिरदर्द बढ़ाया है। जैसे निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद ने अपने बेटे प्रवीण निषाद को केंद्र में मंत्री नहीं बनाए जाने पर भाजपा को चेतावनी दी है और कहा है कि उसे इसका खामियाज भुगतना पड़ेगा। इस झगड़े के बीच बिहार के निषाद नेता, सन ऑफ मल्लाह मुकेश साहनी अपनी पार्टी लेकर उत्तर प्रदेश पहुंच गए हैं। बिहार सरकार के मंत्री मुकेश साहनी ने अपनी विकासशील इंसान पार्टी का कार्यालय लखनऊ में खोला है और एक सौ सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि संजय निषाद हों या मुकेश साहनी इनके लड़ने से गैर यादव पिछड़ा वोट बंटेगा।
इस बीच प्रदेश के फायरब्रांड दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा है कि मायावती की बहुजन समाज पार्टी अपनी साख खो चुकी है और अब आजाद समाज पार्टी का समय है। अगर चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ती है तो दलित वोटों का बंटवारा होगा। प्रदेश के बड़ी संख्या में दलित युवा उनसे जुड़े हैं और उनको पसंद करते हैं। दलित वोटों का बंटवारा मायावती के लिए तो नुकसानदेह है ही भाजपा के लिए भी अच्छा नहीं है। भाजपा अपने अगड़े वोट से ज्यादा गैर यादव पिछड़े और दलित वोट पर फोकस कर रही है। हाल में मंत्रिमंडल में किए गए फेरबदल में इसी पर फोकस रखा गया और इसी का प्रचार भी किया गया।
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up assembly election 2021 भाजपा के पुराने सहयोगी ओमप्रकाश राजभर अलग नाराज हैं और वे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम के साथ मिल कर लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। ध्यान रहे ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को मुख्यधारा में लाने का श्रेय भाजपा को जाता है। उससे भी पहले राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने सुहेलदेव महाराज के जरिए इस समुदाय की धार्मिक और सामाजिक पहचान को उभारा था। उसके बाद सुहेलदेव के मंदिर बने और सुहेलदेव एक्सप्रेस ट्रेन चली। भाजपा ने महाराजा सुहेलदेव को मेहमूद गजनवी के लुटेरों के मार भगाने वाले हिंदू रक्षक योद्धा के तौर पर पेश किया। तभी ओवैसी के साथ जाने को लेकर समुदाय के अंदर ही घमासान मचा है।
इतना तय है कि चाहे चंद्रशेखर आजाद की वजह से हो या सुहेलदेव की वजह से हो, उत्तर प्रदेश में दलित वोटों का बंटवारा होगा। इसी तरह अगर बिहार में भाजपा की सहयोगी जनता दल यू उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ती है, जैसा कि उसके नेताओं ने कहा है तो अलग तस्वीर बनेगी। अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल को केंद्र में मंत्री बनाया गया है लेकिन उनकी मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल की पार्टी अलग चुनाव लड़ेगी। इस बीच संतोष गंगवार को हटाने का कुर्मी समाज में अच्छा मैसेज नहीं गया है। सो, कुर्मी वोट को प्रभावित करने वाले कई फैक्टर हो गए हैं। अपना दल का एक धड़ा, जदयू और गंगवार फैक्टर मुश्किल करेगा।
up assembly election 2021 : छोटी पार्टियों का बड़ा खेल!
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