बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती अपनी पार्टी का सामाजिक संतुलन बनाने की चिंता में हैं। वे ऐसे परफेक्ट कांबिनेशन की जुगाड़ में हैं, जिससे उनके दलित वोट के साथ एक बड़ा वोट बैंक जुड़े। इसी चक्कर में वे मुस्लिम और ब्राह्मण या ओबीसी को बारी बारी से आजमा रही हैं। अब ऐसा लग रहा है कि वे अंतिम तौर पर दलित और ब्राह्मण गठजोड़ के प्रयास में फिर से जुट गई हैं। यह समीकरण पहले उनके लिए फायदेमंद रहा है। वे इसी समीकरण से पूर्ण बहुमत के साथ राज्य की सत्ता में आई थीं। उन्होंने दलित और ब्राह्मण समीकरण बनाए रखने के लिए लोकसभा में नेता एक बार फिर बदल दिया है। अब उन्होंने अंबेडकर नगर के सांसद रीतेश पांडेय को अपनी पार्टी का नेता बनाया है। ध्यान रहे राज्यसभा में पार्टी के नेता सतीश मिश्र ही सदन के नेता हैं। इस तरह दोनों सदनों में मायावती ने ब्राह्मण नेता बना दिया।
इससे पहले मौजूदा लोकसभा के आठ महीने के कार्यकाल में मायावती ने तीन बार नेता बदला है। पहले उन्होंने जेडीएस से बसपा में आए अमरोहा के सांसद दानिश अली को नेता बनाया। थोड़े दिन बाद उन्होंने दानिश अली को हटा कर श्याम सिंह यादव को नेता बना दिया। पिछले सत्र में फिर उन्होंने श्याम सिंह यादव हटा कर दानिश अली को दोबारा नेता बनाया और अब उन्होंने यह जिम्मेदारी रीतेश पांडेय को सौंप दी है। उन्होंने प्रदेश में मुनकाद अली को अध्यक्ष बना रखा है और एक राजभर नेता को भी आगे किया है। पर ऐसा लग रहा है कि वे पुराने दलित-ब्रह्माण समीकरण पर लौट रही हैं।
मायावती संतुलन बनाने की चिंता में
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