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त्रिपुरा में उत्तराखंड दोहराया जाएगा!

ByNI Political,
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त्रिपुरा में उत्तराखंड दोहराया जाएगा!
त्रिपुरा में मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या राज्य में उत्तराखंड की कहानी दोहराई जाएगी? उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह मुख्यमंत्री बनाए गए तीरथ सिंह रावत सांसद थे और उनको सीएम बने रहने के लिए छह महीने में विधायक बनना जरूरी था। लेकिन उनके लड़ने के लिए कोई सुरक्षित सीट नहीं मिली, जिसके बाद उनको हटा कर विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया। त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री भी दो महीने पहले ही सांसद बने हैं और अगर राज्य में समय से यानी अगले साल फरवरी-मार्च में चुनाव होता है तो उनके किसी सीट से विधायक बनना होगा। ऐन चुनाव से पहले उनके लिए भी सुरक्षित सीट खोजने में भाजपा को मुश्किल होगी। वैसे त्रिपुरा में अभी पांच विधानसभा सीट खाली है और अगर साहा की जगह बिप्लब देब को राज्यसभा भेजा जाएगा तो उनकी भी सीट खाली हो गई। लेकिन इनमें से किसी सीट पर साहा का जीतना आसान नहीं होगा। इसका कारण यह है कि बिप्लब देब को हटा कर माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाए जाने का फैसला होते उनके नाम का भारी विरोध शुरू हो गया। पार्टी के पर्यवेक्षकों के सामने विधायकों ने हंगामा किया और बिप्लब सरकार में मंत्री रहे रामप्रसाद पॉल ने तो कुर्सी चला दी। उन्होंने कुर्सियां तोड़ीं और जान देने की बात कही। आने वाले दिनों में साहा का विरोध बढ़ेगा क्योंकि सबको पता है कि बिप्लब देब के डमी के तौर पर उनको मुख्यमंत्री बनाया गया है। इसलिए बिप्लब देब का विरोध करने वाले सारे नेता उनका भी विरोध करेंगे। तभी कहा जा रहा है कि कहीं ऐसा न हो कि चुनाव से पहले साहा को भी हटाया जाए और किसी अन्य नेता को कमान मिले।
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