कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा की सांसद बनने की बेचैनी बढ़ती जा रही है। पिछले चुनाव में उन्होंने जिस तरह से अमेठी और रायबरेली में प्रचार किया था उससे उसी समय उनके राजनीति में उतरने की उम्मीद जताई जाने लगी थी। लेकिन अब उन्होंने खुल कर इस इच्छा का इजहार किया है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की दो दिन की पूछताछ के बाद उन्होंने कहा कि अब उनको सांसद बनना होगा और संसद में पहुंच कर लड़ाई लड़नी होगी। अब सवाल है कि ईडी या सीबीआई के मुकदमे से लड़ने के लिए सांसद बनना क्यों जरूरी है? मौजूदा लोकसभा और राज्यसभा सांसदों में भी दर्जनों ऐसे हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई और ईडी के मुकदमे चल रहे हैं। उन्हें सांसद होने की वजह से कोई राहत हासिल नहीं होती है।
सो, मुकदमों की बात तो एक बहाना है। असली बात यह है कि वे राजनीति में उतरने को बेचैन हैं। उनको लग रहा है कि गांधी-नेहरू परिवार की अमेठी, राय बरेली, सुल्तानपुर, फुलपुर जैसी तमाम सीटें खाली हैं या खाली हो रही हैं। यह माना जा रहा है कि सोनिया गांधी अगली बार चुनाव नहीं लड़ेंगी। राहुल गांधी का पता नहीं है कि अमेठी से एक बार हारने के बाद वे स्मृति ईरानी के खिलाफ फिर जोर आजमाईश करना चाहते हैं या नहीं। तभी रॉबर्ट वाड्रा को लग रहा है कि गांधी-नेहरू परिवार की किसी पारंपरिक सीट से उनको भी लड़ने का मौका मिल सकता है। वैसे भी वे मुरादाबाद के रहने वाले हैं इसलिए उत्तर प्रदेश में उनकी खास दिलचस्पी है।