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वेंकैया के सुझाव का क्या मतलब है?

ByNI Political,
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वेंकैया के सुझाव का क्या मतलब है?
क्या यह देश की राजनीति में किसी बदलाव का संकेत है, जो पूर्व उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री को सलाह दी कि वे पक्ष और विपक्ष की पार्टियों व नेताओं के साथ मेल-मुलाकात बढ़ाएं ताकि गलतफहमियों को दूर किया जा सके? ध्यान रहे वेंकैया नायडू ने पांच साल उप राष्ट्रपति रहते हुए प्रधानमंत्री को कभी इस तरह के सुझाव नहीं दिए। पद से हटने के डेढ़ महीने के भीतर उन्होंने यह सुझाव दे दिया। सबसे दिलचस्प यह है कि उनको यह दिखने लगा कि कुछ गलतफहमी बन रही है और प्रधानमंत्री के कामकाज के तौर-तरीकों को लेकर विपक्षी पार्टियों के मन में शंकाएं हैं। उनके कहने का असली मतलब और मकसद क्या है ये वहीं जानेंगे या भाजपा के दूसरे नेता जानते-समझते होंगे। पर सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कब विपक्षी नेताओं से मिलते हैं, जो वेंकैया नायडू ने इसकी फ्रीक्वेंसी बढ़ाने की बात कही? संसद सत्र से पहले होने वाली सर्वदलीय बैठक में भी कई बार प्रधानमंत्री नहीं शामिल होते हैं। इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान और एक बार गलवान घाटी में चीन के साथ हुई झड़प के बाद उन्होंने सर्वदलीय बैठक की थी। इसके अलावा तो कभी विपक्षी नेताओं से उनके मिलने और अपनी सरकार के कामकाज पर फीडबैक लेने की कोई मिसाल नहीं है। हां, संसद सत्र के दौरान जब कभी प्रधानमंत्री सदन में जाते हैं तो कुछ विपक्षी नेताओं के हालचाल पूछ लेते हैं। तभी सवाल है कि क्या वेंकैया नायडू उनको यह सलाह दे रहे थे कि वे विपक्षी नेताओं से मिलना जुलना शुरू करें? उन्होंने सुझाव दिया है तो कुछ न कुछ इसका मतलब होगा। इसलिए आगे के राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखने की जरूरत है।
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