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भाजपा, लेफ्ट दोनों को बंगाल में फायदा!

ByNI Political,
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भाजपा, लेफ्ट दोनों को बंगाल में फायदा!
जैसा कि पहले से अंदाजा लगाया जा रहा था, बिहार चुनाव का बड़ा असर अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल के चुनाव पर होगा। बंगाल चुनाव से पहले भाजपा को ऐसी संजीवनी मिली है, जिससे वह बंगाल फतह करने की सोच रही है। हालांकि यह कई दूसरी चीजों पर निर्भर करेगा लेकिन भाजपा उम्मीद कर रही है कि बिहार से जो सकारात्मक माहौल बना है, उसका फायदा उसे मिलेगा। पहले लग रहा था कि भाजपा बिहार में नहीं जीत पाएगी और तब बंगाल व असम दोनों जगह उसे नुकसान का अंदेशा था। अब भाजपा बम बम है। उसके नेता मान रहे हैं कि अगर बिहार में उनका मुख्यमंत्री बन जाए तो बंगाल जीतना बहुत आसान हो जाएगा। हालांकि ऐसा होगा नहीं। फिर भी भाजपा अब बंगाल में सिर्फ विभाजनकारी एजेंडे पर चुनाव में नहीं जाएगी। पार्टी के नेताओं का कहना है कि बिहार में रोजगार, नौकरी और कोरोना की वैक्सीन की मुद्दा हिट रहा। ध्यान रहे भाजपा ने बिहार में मुफ्त वैक्सीन का वादा किया है। अब भाजपा के नेता परेशान हैं कि कहीं ममता बनर्जी पहले ही मुफ्त वैक्सीन का वादा न कर दें। बहरहाल, बिहार के सीमांचल इलाके में भाजपा ने संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का मुद्दा उठाया था हालांकि नीतीश कुमार के सख्त रुख को देखते हुए भाजपा नेताओं ने इसे छोड़ दिया। पर बंगाल में उसके सामने ऐसी कोई बाधा नहीं होगी। वह खुल कर ये दोनों मुद्दे उठाएगी। बगल के राज्य असम में भाजपा की सरकार पहले ही ‘लव जिहाद’ का मुद्दा बना चुकी है। इसका भी असर बंगाल में होगा। सो, कुल मिला कर बिहार में मिली बड़ी जीत और चुनाव में उठाए गए मुद्दे बंगाल में भाजपा के काम आएंगे। ऐसा नहीं है कि बिहार चुनाव का एकमात्र फायदा भाजपा को ही होगा। वामपंथी पार्टियां भी भाजपा की तरह ही बम बम हैं। उनको भी बिहार से संजीवनी मिली है। पिछले चुनाव में सिर्फ  सीपीआई एमएल को तीन सीटें मिली थीं और सीपीआई व सीपीएम का खाता भी नहीं खुल सका था। इस बार ये दोनों पार्टियां भी दो-दो सीटों पर जीती हैं और एमएल को तो 12 सीटें मिली हैं। कुल 29 सीटों पर लड़ कर लेफ्ट पार्टियों ने 14 सीटें जीती हैं। तीनों वामपंथी पार्टियों को 17 सीटों पर बढ़त मिली थी, जिसमें से वे 12 जीतीं। एक सीट सीपीएम सिर्फ 140 वोट से हारी। सो, बिहार चुनाव से लेफ्ट को एकजुटता का नया सबक मिला है। अब यह देखना होगा कि वामपंथी पार्टियां कैसे बंगाल चुनाव में इसका इस्तेमाल करती हैं। कांग्रेस के साथ भी उनके तालमेल पर नजर रखनी होगी।
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