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कांग्रेस के सहयोगी ममता के साथ

ByNI Political,
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कांग्रेस के सहयोगी ममता के साथ
पश्चिम बंगाल में कमाल की राजनीति हुई है। कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव वाम मोर्चा और इंडियन सेकुलर फ्रंट के साथ मिल कर लड़ रही है और अलग अलग राज्यों में कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां ममता बनर्जी के साथ दे रही हैं। कांग्रेस जिन पार्टियों के साथ अलग अलग राज्यों में सरकार चला रही है उन पार्टियों ने भी ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का समर्थन किया है। कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों ने कहा है कि उनका तालमेल सिर्फ एक राज्य के लिए है। इस तरह सहयोगियों ने यूपीए का सिद्धांत खत्म कर दिया है। पश्चिम बंगाल के पड़ोसी राज्य झारखंड में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा मिल कर सरकार चला रहे हैं। सरकार का नेतृत्व कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जरूरी नहीं समझा की पश्चिम बंगाल की राजनीति में कांग्रेस से बात करे। उसने पहले तो चुनाव लड़ने का ऐलान किया और बाद में तृणमूल कांग्रेस का समर्थन कर दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों का ऐलान करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन को समर्थन के लिए धन्यवाद भी दिया। इसी तरह कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र में शिव सेना के साथ सरकार में शामिल है। महा विकास अघाड़ी की सरकार का नेतृत्व कर रहे शिव सेना ने भी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी के समर्थन का ऐलान किया है। उसने भी कांग्रेस से बात करने की जरूरत नहीं समझी। कांग्रेस की तीसरी सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल है, जिसके साथ कांग्रेस का बिहार और झारखंड में तालमेल है। दोनों राज्यों में राजद और कांग्रेस साथ मिल कर लड़े थे। पर राजद ने भी कांग्रेस से बात किए बगैर तृणमूल कांग्रेस का समर्थन किया है। कांग्रेस की पुरानी सहयोगी समाजवादी पार्टी ने भी पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का समर्थन किया है। हालांकि राजद, शिव सेना, जेएमएम या समाजवादी पार्टी का बंगाल की राजनीति में कोई खास असर नहीं है। इन चारों में एक बात कॉमन है कि ये इस समय भाजपा का विरोध  कर रही हैं और इनको लग रहा है कि इस समय मुख्य विपक्ष के तौर पर भाजपा के खिलाफ ममता बनर्जी खड़ी हैं। इसलिए इन पार्टियों ने ममता का साथ दिया है। एक तरह से कांग्रेस और लेफ्ट को छोड़ कर पूरा विपक्ष ममता के साथ खड़ा हुआ है। यह कांग्रेस के लिए चिंता की बात हो सकती है।
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