पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजों से भाजपा के कई नेताओं को बड़ी राहत मिली है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सबसे ज्यादा राहत महसूस कर रहे हैं। अगर भाजपा पश्चिम बंगाल में जीती होती तो उनके सामने दोहरी मुश्किल खड़ी होती। पहले मुश्किल तो यह थी कि मध्य प्रदेश की दमोह सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा हार गई थी। दूसरे अगर पश्चिम बंगाल में भाजपा जीत जाती तो प्रदेश के दो बड़े नेताओं का कद और बढ़ता। राज्य के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय बंगाल में भाजपा के प्रभारी थे। वहां भाजपा की जीत का बड़ा श्रेय उनको मिलना तय था। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
अगर भाजपा बंगाल में जीतती तो विजयवर्गीय राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए बड़ी चुनौती बन सकते थे। इसी तरह पिछले कई बरसों से मुख्यमंत्री पद के दावेदार बताए जा रहे नरोत्तम मिश्रा भी बंगाल में भाजपा को चुनाव लड़वा रहे थे। अगर भाजपा वहां अच्छा प्रदर्शन करती तो उनको भी इसका फायदा मिलता। इसी तरह झारखंड भाजपा के नेताओं की भी नजर भी पश्चिम बंगाल पर थी क्योंकि नरोत्तम मिश्रा की तरह की केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को पार्टी ने कई सीटों की जिम्मेदारी दी थी। खासकर दक्षिण बंगाल के आदिवासी बहुल इलाकों में। वहां भाजपा जीती नहीं है तो झारखंड के नेताओं ने, खास तौर से दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने राहत की सांस ली है।