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बंगाल का बंटवारा आसान नहीं होगा

ByNI Political,
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बंगाल का बंटवारा आसान नहीं होगा
West bengal state division भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल के बंटवारे का मुद्दा उठाया है। पहले उत्तरी बंगाल से लोकसभा चुनाव जीते भाजपा के सांसद जॉन बारला ने यह मुद्दा उठाया था। लेकिन तब यह उनका निजी एजेंडा लग रहा था। लेकिन अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी यह मुद्दा उठाया है और कहा कि उत्तरी बंगाल की हमेशा उपेक्षा हुई है, जिसकी वजह से वहां विकास नहीं हो पाया है। उन्होंने विकास के बहाने उत्तरी बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग की है। हालांकि पश्चिम बंगाल की भाजपा ईकाई के ही नेता इसका विरोध कर रहे हैं और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस तो इसके विरोध में है ही। Read also राजनीति का अपराधीकरण और अदालत की उम्मीद! ध्यान रहे इससे पहले जब बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का बंटवारा हुआ था तब कोई  विवाद नहीं हुआ था। यह बंटवारा केंद्र की भाजपा सरकार ने कराया था इसके बावजूद इन तीनों राज्यों से अलग होकर बने राज्यों झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में भाजपा का मजबूत आधार है और ज्यादा समय उसकी ही सत्ता रही। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भाषायी या सांस्कृतिक अस्मिता का वैसा मामला नहीं है, जैसा आंध्र प्रदेश में है। ध्यान रहे आंध्र प्रदेश का बंटवारा करके तेलंगाना का गठन कांग्रेस ने कराया था लेकिन आज वह इन दोनों राज्यों में हाशिए पर है। उसी तरह बंगाल में भाषायी और अस्मिता का मामला बहुत गहरा है। इसलिए बंटवारा आम बंगाली को मंजूर नहीं है। इसलिए भाजपा इसे आगे नहीं बढ़ा सकती है क्योंकि उत्तरी बंगाल में कुछ हासिल हो या न हो बचा हुआ बंगाल हमेशा के लिए उसके हाथ से निकल जाएगा। तभी पार्टी के राष्ट्रीय नेता इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं। west bengal state division
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