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भारत सरकार के सचिवों की चिंता का क्या मतलब??

ByNI Political,
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भारत सरकार के सचिवों की चिंता का क्या मतलब??
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अप्रैल को भारत सरकार के सचिवों के साथ एक लंबी बैठक की। इस बैठक को लेकर कई तरह की खबरें आईं, लेकिन मुख्य रूप से ध्यान खींचने वाली दो खबरें थीं। पहली यह कि सचिवों ने राज्यों में पार्टियों की ओर से मुफ्त में वस्तुएं और सेवाएं देने की योजनाओं और नकदी बांटने की योजना पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति आर्थिक रूप से ठीक नहीं है और लंबे समय में इससे राज्यों की आर्थिक सेहत बिगड़ेगी। सचिवों की इस चिंता के हवाले खबर बनी कि भारत में श्रीलंका जैसे हालात बन सकते हैं। दूसरी खबर यह थी कि प्रधानमंत्री मोदी ने सचिवों से कहा है कि वे गरीबी का बहाना न बनाएं और सुधारों के लिए नए और मौलिक सुझाव दें। concern of the Secretaries Read also भारत और श्रीलंका का फर्क सोचें, भारत सरकार के सचिवों की इस चिंता का क्या मतलब है? सचिवों ने राज्यों में सत्तारूढ़ दलों की घोषणाओं पर चिंता जताई लेकिन क्या इसी तरह की योजनाएं केंद्र के स्तर पर नहीं चल रही हैं? क्या केंद्र सरकार मुफ्त में वस्तुएं और सेवाएं नहीं बांट रही है और क्या केंद्र सरकार नकदी नहीं बांट रही है? यह भी सवाल है कि क्या राज्यों के बहाने भारत सरकार के सचिव केंद्र की नीतियों पर भी सवाल उठा रहे थे? अगर ऐसा है तो क्या उनकी सलाह प्रधानमंत्री को पसंद आई होगी? कहीं ऐसा तो नहीं है कि इसी वजह से प्रधानमंत्री ने उनकी चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया और उनसे मौलिक सुझाव देने को कहा? जो हो सचिवों की चिंता से कम से कम इतना तो हुआ कि मुफ्त बांटने की योजनाओं पर थोड़ी बहुत चर्चा हुई।
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