अब गुजरात का विधानसभा चुनाव भी बीत गया। झारखंड भाजपा के नेता कह रहे थे कि गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में ऑपरेशन लोटस होगा। तो क्या सचमुच भाजपा की ऐसी कोई योजना है? गुजरात में भाजपा की बड़ी जीत और राज्य में आदिवासियों के लिए आरक्षित 27 में से 24 सीटों पर भाजपा की जीत के बाद यह अंदेशा भी खत्म हो गया है कि आदिवासी नाराज हैं या भाजपा के साथ छोड़ रहे हैं। इस आधार पर भी आदिवासी बहुल झारखंड में कुछ बड़ी राजनीति की संभावना जताई जा रही है। लेकिन कम से कम दिल्ली में भाजपा नेतृत्व में कोई हलचल नहीं दिख रही है। प्रदेश के नेता खास कर भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और उनके कुछ करीबी लोग जरूर किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की संभावना देख रहे हैं।
भाजपा के जानकार सूत्रों के मुताबिक राज्य में प्रदेश अध्यक्ष बदला जा सकता है। दीपक प्रकाश की जगह नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। चूंकि बाबूलाल मरांडी को अभी तक नेता विपक्ष का दर्जा नहीं मिल पाया है और भाजपा में उनकी पार्टी के विलय को लेकर जो विवाद है उसमें उनकी सदस्यता पर भी तलवार लटकी है। इसलिए उनकी टीम चाहती है कि वे प्रदेश अध्यक्ष ही बन जाएं और उनके नेतृत्व में पार्टी चुनाव लड़े। इससे भी ऐसा लग रहा है कि भाजपा के प्रदेश के नेता राज्य में अपनी सरकार बनने की संभावना कम होती देख रहे हैं। राज्य में विधानसभा का कार्यकाल दो साल का बचा है और ऐसे में सरकार गिराने, नई सरकार बनाने या राष्ट्रपति शासन लगाने का विकल्प अच्छा राजनीतिक विकल्प नहीं है।
तभी यह कहा जा रहा है कि राजनीतिक घटनाक्रम नहीं होगा, बल्कि केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई पहले की तरह चलती रहेगी। कुछ और अधिकारियों व नेताओं पर शिकंजा कसेगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी ने एक बार पूछताछ की है। उनको और उनके परिवार के लोगों को फिर से बुलाया जा सकता है। इसके साथ ही सही समय पर उनकी सदस्यता के बारे में फैसला होगा, जो चुनाव आयोग और राज्यपाल के बीच झूल रहा है।