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हिमाचल में धर्मांतरण कानून की क्या जरूरत?

ByNI Political,
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हिमाचल में धर्मांतरण कानून की क्या जरूरत?
हिमाचल प्रदेश देश के उन राज्यों में है, जहां सबसे ज्यादा हिंदू आबादी है। यह देव भूमि है, जहां दूसरे धर्म को लोगों की संख्या बहुत कम है। कुल आबादी में 95 फीसदी से ज्यादा आबादी हिंदुओं की है और बची हुई करीब पांच फीसदी आबादी में भी बौद्ध और सिख बड़ी संख्या में हैं। मुस्लिम आबादी बहुत कम है। तभी सवाल है कि ऐसे राज्य में धर्मांतरण रोकने के कानून की क्या जरूरत है? कहीं से ऐसी खबरें नहीं आ रही हैं कि राज्य में सामूहिक धर्मांतरण हो रहा है। हिमाचल में दशकों से तिब्बत की निर्वासित सरकार चल रही है और बौद्ध धर्म का बड़ा केंद्र है वहां फिर भी हिंदू आबादी के बौद्ध बनने की कोई खबर नहीं है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों की देखा-देखी हिमाचल प्रदेश में भी सामूहिक धर्मांतरण रोकने के कानून को और सख्त बनाया गया है। यह कानून 2019 में पास हुआ था और 2020 में इसे लागू किया गया था। लेकिन डेढ़ साल से भी कम समय में इसमें संशोधन करके सामूहिक धर्मांतरण कराने वालों को 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसा लग रहा है कि अगले दो-तीन महीने में होने वाले चुनाव को देखते हुए यह पहल की गई है। यह एक प्रतीकात्मक पहल है, जिसका मकसद धारणा के स्तर पर लोगों को यह दिखाना है कि भाजपा हिंदुओं की रक्षा के लिए काम कर रही है।
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